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सर्वपितृ अमावस्या पर इस पूजा विधि से करें पूर्वजों को प्रसन्न, जानिए तर्पण का शुभ मुहूर्त

  • Edited By palak,
  • Updated: 14 Oct, 2023 09:54 AM
सर्वपितृ अमावस्या पर इस पूजा विधि से करें पूर्वजों को प्रसन्न, जानिए तर्पण का शुभ मुहूर्त

29 सितंबर से शुरु हुए पितृ पक्ष के श्राद्ध इन दिनों चल रहे हैं यह 14 अक्टूबर को खत्म होंगे। 14 अक्टूबर को आखिरी श्राद्ध होगा जिसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों के लिए विशेष तौर पर अनुष्ठान किए जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के अगले दिन शारदीय नवरात्रि भी शुरु हो जाते हैं। इस अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी माना जाता है। यह अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ती है। इस दिन पितरों के तर्पण का शुभ मुहूर्त क्या है आज आपको इसके बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं...

पूर्वजों के तर्पण का शुभ मुहूर्त 

अमावस्या की तिथि 13 अक्टूबर रात 09:50 मिनट पर शुरु होगी और इसका समापन 14 अक्टूबर को रात 11:24 पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस साल सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान पितरों की पूजा करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं जिसमें एक 14 अक्टूबर सुबह 11:44 से लेकर दोपहर 12:30 तक है। दूसरा मुहूर्त 14 अक्टूबर दोपहर 12:30 से लेकर 01:16 का है और तीसरा मुहूर्त दोपहर 01:16 से लेकर दोपहर 03:35 तक का है। 

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क्यों होती है यह तिथि खास? 

अमावस्या की तिथि पर श्राद्ध घर के उन मृतक सदस्यों के लिए  किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या की तिथि, पूर्णिमा की तिथि या फिर चतुर्दशी तिथि में हुआ हो। अमावस्या की तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सारे पूर्वजों की आत्मा को प्रसन्न करता है इसलिए इस दिन सारे पूर्वजों का पूरे नियमों के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों को अपनी पूर्वजों की पुण्यतिथि के बारे में नहीं पाता है उनका श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है इसलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। जिस परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु हुई हो उनका भी पितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना शुभ माना जाता है।

ऐसे करें पितरों का श्राद्ध 

. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पितरों को याद करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद उनका श्राद्ध करें। 

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. अमावस्या वाले दिन खीर पूड़ी और सब्जी बनाएं। 

. इसके बाद पितरों को याद करते हुए प्रार्थना करें और फिर आकर भोजन ग्रहण कर लें। 

. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान, दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद जरुर लें।

.भोजन करवाने के बाद पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए प्रार्थना करें फिर कोए, गाय और कुत्ते को खाना खिलाएं। 

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. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा पूरे दिल से करें। 
 

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