22 NOVFRIDAY2024 1:03:29 PM
Nari

साल की आखिरी 'सफला एकादशी' की जानिए तिथि, समय और व्रत की पूरी विधि

  • Edited By neetu,
  • Updated: 29 Dec, 2021 12:35 PM
साल की आखिरी 'सफला एकादशी' की जानिए तिथि, समय और व्रत की पूरी विधि

हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को समर्पित ये शुभ व्रत 2021 में कुछ 24 आए थे। साल की आखिरी एकादशी 30 दिसंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। इसके नाम से पता चलता है कि इस व्रत को रखने व इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है। मनचाहा फल मिलने के साथ घर में सुख-समृद्धि व खुशियों का वास होता है। चलिए जानते हैं सफला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि...

सफला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त  

एकादशी तिथि का प्रारंभ- 29 दिसंबर 2021, दिन बुधवार दोपहर 04:12 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 30 दिसंबर 2021, दिन गुरुवार दोपहर 01:40 मिनट तक
शुभ या अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से लेकर दोपहर 12:44 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही विशाखा नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 12:34 मिनट तक रहेगा।
सफला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 31 दिसंबर 2021, दिन शुक्रवार सुबह 07:14 से 09:18 मिनट तक। इसके साथ ही द्वादश तिथि का समापण 10:39 मिनट तक रहेगा।

एकादशी की उदय तिथि 30 दिसंबर होगी तो ऐसे में इस व्रत को 30 दिसंबर गुरुवार को ही रखा जाएगा।

PunjabKesari

pc: Zee News

सफला एकादशी व्रत का महत्व

शास्त्रों में सफला एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है।  पद्म पुराण अनुसार, एक बार युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि, मुझे बड़े-बड़े यज्ञों से उतना संतोष नहीं मिलता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, सफला एकादशी को कल्याण और सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी गया है। ऐसे में सच्चे मन से इस व्रत को करने से जीवन की समस्याएं व नकारात्मकता दूर होकर घर में खुशहाली आती है। साथ ही बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

PunjabKesari

pc: Weebneel.com

सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि

. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करके स्नान करें।
. अब साफ व पीले रंग के कपड़े पहनकर हाथ में जल लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए एकादशी व्रत रखने का संकल्प लें।
. अब पूजा स्थल पर साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब गंगाजल से भगवान की मूर्ति या तस्वीर समेत चाहों तरफ छीटें दें।
. उसके बाद पीले फूल, चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, फल, केला, पंचामृत, तुलसी का पत्ता, धूप, दीप, मिठाई, चने की दाल और गुड़ चढ़ाएं।
. केले के पौधे की पूजा करके विष्णु स​हस्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें और सफला एकादशी व्रत कथा पढ़े या सुने।
. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को दूध से बनी चीज का भोग लगाकर शाम को फिर पूजा करें।
. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करके कार्य में सफलता पाने के लिए श्रीहरि से प्रार्थना करें।
. दिनभर फलों का सेवन करें और रात को जागरण करें।
. इस दिन तुलसी पूजन और दान अवश्य करें।
. अगले दिन व्रत का पारण करके गरीबों व जरूरतमंदों या ब्राह्मण को दान करके भोजन खाएं।

 

Related News