कैंसर कोई भी हो खतरनाक ही है हालांकि कुछ कैंसर में मरीज के बचने की संभावना होती है जबकि कुछ कैंसर ऐसे होते हैं कि जिनके इलाज में देरी हो तो मरीज की जान चली जाती है। उन्हीं में से एक है फेफड़ों का कैंसर जो फेफड़ों से शुरू होता है जब फेफड़ों में कोशिकाएं कंट्रोल से बाहर होने लगती है। आज विश्व भर में मौत का एक प्रमुख कारण लंग कैंसर है।
लंग कैंसर होने पर बॉडी कैसे संकेत देती है?
आमतौर पर कोई लक्षण शुरुआती दौर में नहीं दिखता है। सबसे जरूरी लक्षण एडवांस स्टेज में नजर आते हैं। अलग-अलग लोगों के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। कुछ लोग जिनके फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य अंग में फैल गया है। शरीर के उस दूसरे हिस्से का खास लक्षण दिखता हैं। कुछ लोगों में तबीयत ठीक न होने के सामान्य लक्षण होते हैं
जैसे: खांसी दूर ही नहीं होती।
छाती में दर्द होता है।
सांस लेने में परेशानी होती है।
खांसी में खून आता है।
हर समय थकान महसूस होती है।
बिना वजह ही वजन कम होने लगता है।
बार-बार निमोनिया भी हो सकता है।
लंग्स के बीच सूजन
वैसे ये लक्षण दूसरी बीमारियों के भी हो सकते हैं। इसलिए कोई भी लक्षण दिखें तो देरी ना करते हुए डाक्टर को जरूर दिखाएं।
फेफड़ों के कैंसर होने का कारण
स्मोकिंग - तंबाकू का सेवन अब तक फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, फेफड़ों के कैंसर से होने वाली लगभग 80% मौतें धूम्रपान के कारण होती हैं और कई इसके धुएं के संपर्क में आने के कारण होती हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण से भी फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है और यह बीमारी अनुवांशिक भी है। उनमें फेफड़ों के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, भले ही वे धूम्रपान न करें।।
फेफड़ो के कैंसर से बचाव
फेफड़ों के कैंसर से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि धूम्रपान न करें और धुएं में सांस लेने से बचें। हैल्दी डाइट खाएं। फल सब्जियां खाएं। नियमित रूप से व्यायाम करें। योग करें। गंदी हवा से बचें। कैमिकल्स, अन्य जहरीले रसायन वाली जगहों पर जाने से बचें।
क्या फेफड़ों के कैंसर का पता शुरुआत मे चल सकता है ?
इसके लक्षण सामान्य शुरुआत में नहीं दिखते लेकिन स्क्रीनिंग की मदद से बीमारी का पता जल्द लगाया जा सकता है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, हाल के वर्षों में, लंग कैंसर का हाई रिस्क रखने वाले लोगों के लिए डोज सीएटी स्कैन या सीटी स्कैन टेस्ट की स्टडी की गई है। इस एलडीसीटी स्कैन की मदद से असामान्य जगहों में होने वाले कैंसर का पता लगाया जा सकता है।