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PCOD के कारण महिलाओं में डायबिटीज का खतरा, जानिए बचाव के तरीके!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 21 Nov, 2024 05:20 PM
PCOD के कारण महिलाओं में डायबिटीज का खतरा, जानिए बचाव के तरीके!

नारी डेस्क: पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) सिर्फ़ प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य की स्थिति नहीं है, यह आपके मेटाबॉलिक स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस स्थिति में अंडाशय में छोटे-छोटे दाने (सिस्ट) बन जाते हैं, जिससे हार्मोनल असंतुलन, मासिक धर्म चक्र में असामान्यता, ओवुलेशन (अंडोत्सर्जन) में समस्याएं और अन्य शारीरिक दुष्प्रभाव होते हैं।अनियमित मासिक धर्म चक्र, वजन बढ़ना या लगातार थकान जैसे शुरुआती चेतावनी संकेतों को अनदेखा करने से टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम काफ़ी हद तक बढ़ सकता है।

पीसीओडी कैसे डायबिटीज का कारण बन सकता है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज के साथ महिलाएं आमतौर पर इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) से ग्रसित होती हैं। इसका अर्थ है कि उनका शरीर इंसुलिन को सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण ब्लड शुगर का स्तर उच्च हो सकता है, और लंबे समय में यह टाइप 2 डायबिटीज (मधुमेह) की ओर अग्रसर हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि उनका शरीर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं रहता।

इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) और पीसीओडी

पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध एक सामान्य समस्या है। इंसुलिन प्रतिरोध का मतलब है कि शरीर का शर्करा (ग्लूकोज) को ऊर्जा में बदलने में सक्षम नहीं होता, जिसके कारण रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। सामान्यतः: जब हम खाना खाते हैं, तो शरीर इंसुलिन का उत्पादन करता है ताकि शर्करा को कोशिकाओं में भेजकर उसे ऊर्जा में बदल सके। लेकिन पीसीओडी से ग्रस्त महिलाएं इस प्रक्रिया में असमर्थ होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। यह लंबे समय में टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।

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हार्मोनल असंतुलन और ब्लड शुगर नियंत्रण

पीसीओडी में हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाएं उच्च एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) स्तर, असामान्य मासिक धर्म, और ओवुलेशन की समस्याओं का सामना करती हैं। हार्मोनल असंतुलन के कारण शरीर के ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (शर्करा का पाचन और प्रसंस्करण) में भी समस्या आती है। इसका असर इंसुलिन पर भी पड़ता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इन असंतुलनों के कारण शरीर शर्करा को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

वजन बढ़ना पीसीओडी का एक संकेत

पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं में मोटापे की समस्या सामान्य है, क्योंकि इंसुलिन प्रतिरोध के कारण शरीर अधिक फैट स्टोर करता है। वजन बढ़ने से यह स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है, क्योंकि अधिक वजन इंसुलिन प्रतिरोध को और भी बढ़ाता है, और इस प्रकार डायबिटीज के जोखिम को भी बढ़ाता है। यह एक दुष्चक्र की तरह होता है, जिसमें बढ़ा हुआ वजन और इंसुलिन प्रतिरोध दोनों एक-दूसरे को बढ़ाते हैं।

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मधुमेह का पूर्वानुमान (Pre-diabetes) 

पीसीओडी वाली महिलाओं में 'प्रीडायबिटीज' (Prediabetes) की स्थिति भी सामान्य होती है। इसका मतलब है कि रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि इसे डायबिटीज कहा जा सके। प्रीडायबिटीज एक चेतावनी संकेत है कि महिला के शरीर को ब्लड शुगर को ठीक से नियंत्रित करने में समस्या हो रही है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह स्थिति पूर्ण मधुमेह में बदल सकती है।

समय पर निदान और उपचार 

पीसीओडी और मधुमेह के खतरे को समझते हुए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि महिलाएं समय पर डॉक्टर से सलाह लें और नियमित रूप से अपनी सेहत की जांच करवाएं। यदि किसी महिला को पीसीओडी है, तो उसे इंसुलिन प्रतिरोध और ब्लड शुगर स्तर की नियमित निगरानी करनी चाहिए। डॉक्टर आमतौर पर उचित आहार, व्यायाम, और कभी-कभी दवाइयों की सलाह देते हैं ताकि ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जा सके और मधुमेह के विकास को रोका जा सके।

क्रोनिक सूजन: अनदेखा कारक

पीसीओडी से पीड़ित लोगों को अक्सर क्रॉनिक लो-ग्रेड सूजन का अनुभव होता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाता है और मधुमेह के जोखिम को बढ़ाता है। यह सूजन अन्य लक्षणों को भी खराब करती है, जिससे एक दुष्चक्र बनता है जो अनदेखा किए जाने पर नियंत्रण से बाहर हो सकता है।

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पीसीओडी (PCOD) और डायबिटीज की रोकथाम और प्रबंधन युक्तियां 

स्वस्थ आहार का पालन करें 

1.उच्च फाइबर और कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार को अपनाएं।
2.फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर भोजन खाएं।
3.शर्करा और तला-भुना भोजन कम करें।

नियमित शारीरिक गतिविधि 

1.हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें, जैसे पैदल चलना, दौड़ना, योग या एरोबिक्स।
2.व्यायाम से वजन नियंत्रण और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है।

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वजन नियंत्रण 

1.यदि मोटापा है, तो धीरे-धीरे वजन घटाने का प्रयास करें।
2.वजन घटाने से इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार हो सकता है और डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।

मेडिकल जांच और निगरानी 

1.नियमित रूप से रक्त शर्करा और इंसुलिन स्तर की जांच करवाएं।
2.डॉक्टर से सलाह लेकर दवाइयों का सेवन करें, जैसे कि मेटफॉर्मिन, जो इंसुलिन प्रतिरोध को नियंत्रित करने में मदद करता है।

तनाव कम करें

1.मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और योग, ध्यान, या गहरी सांसों की तकनीकों से तनाव कम करें।
2.उच्च तनाव हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है, जिससे पीसीओडी की समस्या और बढ़ सकती है।

हॉर्मोनल बैलेंस के लिए उपचार

1.यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर के निर्देशानुसार हार्मोनल उपचार लें।
2.ओरल गर्भनिरोधक गोलियां या अन्य उपचारों का उपयोग कर हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है।

नींद की आदतें सुधारें

1.पूरी और आरामदायक नींद लें (7-8 घंटे प्रति रात)।
2.कम नींद से हार्मोनल असंतुलन और इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है।

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इन युक्तियों को अपनाकर पीसीओडी और मधुमेह के जोखिम को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है और इनकी प्रभावी देखभाल की जा सकती है।



 

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