![मानसी जोशी: पैर टूटने पर भी नहीं टूटा हौसला](https://static.punjabkesari.in/multimedia/2022_1image_03_02_411119517manshi-ll.jpg)
जिंदगी में कबक्या हो जाए, कोई नहीं जानता। ऐसा ही कुछ हुआ पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी के साथ। जिसका बैडमिंटन खेलना शौक था प्रोफैशन नहीं। लेकिन एक हादसे ने उनकी जिंदगी को ऐसा बदला कि उन्हें अपना एक पैर गंवाना पड़ा। यह हादसा उन्हें तोड़ नहीं पाया और फिर मानसी ने बैडमिंटन को अपना प्रोफैशन बनाते हुए पैरा-एथलीट के तौर पर कई पदक अपने नाम किए।
कैसे बनीं एथलीट
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एक इंटरव्यू में मानसी बताती हैं कि वह बैडमिंटन को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थीं। स्कूल के दिनों में वह शौक के तौर पर बैडमिंटन खेला करती थीं। इस दौरान उन्होंने कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं। उन्होंने इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक किया था और इसी में अपना करियर बढ़ाना चाहती थीं। लेकिन एक सड़क दुर्घटना में अपन पैर गंवाने के बाद वह बुरी तरह टूट गईं। अवसाद ने उन्हें घेर लिया। फिर उनके दोस्त ने उन्हें बैडमिंटन खेलने का सुझाव दिया, जिसके बाद उन्होंने फिर से खेलना शुरू कर दिया।
देश के नाम किए कई पदक
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मानसी ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वह चर्चा में तब आईं जब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामैंट में रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने पहले इंटरनैशनल टूर्नामैंट में जगह बनाई। मानसी यहीं नहीं रुकीं उन्होंने 2016 में चीन में हुई एशियाई चैंपियनशिप में ब्रोंज जीता, फिर 2017 में पैरा विश्व चैंपियनशिप में ब्रोंज और 2019 में गोल्ड जीतकर देश का नाम गर्व से ऊंचा किया।
पहचानी अपनी प्रतिभा
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बैडमिंटन खेला शुरू करने के बाद मानसी की जिंदगी ने फिर करवट ली। खेलते-खेलते मानसी को अपनी प्रतिभा का एहसास हुआ और उन्होंने बैडमिंटन को ही अपना करियर बना लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। एक के बाद एक जीत का स्वाद चखती गईं।