ये देखाे कितनी मोटी है, ये तो सिंगल हड्डी है, इसकी ताे चाल में फर्क है, ये तो मुझे डिप्रेशन का शिकार लगती है... ऐसी बातें औरतों को लेकर पुरुष नहीं बल्कि औरतें ही करती हैं। अगर काेई पुरुष किसी औरत पर इस तरह की टिप्पणी करता है तो उसके ना सिर्फ चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं, बल्कि उस पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की धमकी तक दे दी जाती है। पर सवाल यह है कि एक औरत अगर दूसरी औरत को लेकर इस तरह की बातें करती है तो उसे लेकर क्या कानून है?
ये मुद्दा देखने में जितना हल्का लगता है उतना है नहीं। क्योंकि अपने मनोरंजन के लिए हम किसी का मजाक तो उड़ा लेते हैं, लेकिन कभी ये साेचा है कि जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं उस पर क्या बीत रही होगी। मोटा दिखना किसे पसंद है? कोई अपनी मर्जी से मोटा नहीं हाेता है, भगवान ने ही उसे ऐसा बनाया है इसमें ऐसे इंसान की गलती क्या है? बड़ी बात तो यह है कि ऐसी बातें वही करते हैं जिनके अंदर खुद भी कमियां होती है।
इस संसार में कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है, फिर हम दूसरों का मजाक बनाते समय ये सब क्यों भूल जाते हैं। हमें सिर्फ दूसरों की बातें करना अच्छा लगता है इसलिए बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं। इन बाताें की सबसे पहले शुरुआत घर से ही होती है। अगर एक बहन का रंग साफ है और दूसरी का रंग साफ नहीं है ताे उसे भी इस बात के लिए कोसा जाता है कि वह गौरी क्यों नहीं है। कई बार तो खुद मां ही अपने बच्चों के बीच भेदभाव कर देती है।
फिर बात आती है सुसराल की, अगर कोई महिला किसी कारणवश मां नहीं बन पाती है तो उसे बांझ का टैग दे दिया जाता है। हालांकि घर के पुरुषों को इस चीज से कोई लेना- देना नहीं है। ऐसी बातें करना का ठेका तो महिलाओं ने ही ले रखा है, बड़े ही आराम से कह दिया जाता है कि ये तो बांझ है इसे क्या पता बच्चे क्या होते हैं। क्या सच में मां ना बनने वाली महिला का कोई कसूर होता है? कौन महिला ये चाहेगी कि उसकी कोख ना भरे, उसका दर्द समझने की बजाय उसे जगह- जगह बदनाम किया जाता है।
अब बात करते हैं वर्किंग वुमन की। समाज की यही धारणा है कि जो महिला घर से निकलकर काम पर जाती है उसकी सोच काफी अलग होती है। पर ऐसा लगता तो नहीं क्योंकि ऑफिस एक ऐसी जगह है जहां एक महिला दूसरी महिला की सबसे बड़ी दुश्मन होती है। बहुत से ऑफिस में देखा गया है कि अगर एक महिला तरक्की की और बढ़ रही है तो बाकी यह मान बैठती हैं कि जरूर इसने बॉस को खुश करने के लिए कुछ किया होगा। दरअसल ऐसी औरतें अपने आप को तसल्ली दे रही होती हैं।
ऐसी औरतों का जब मन नहीं भरता तो वह चुगली करने के लिए पुरूषों को शामिल कर लेती हैं। मतलब कि अपनी भड़ास निकालने के लिए वह यह भी नहीं सोचती कि आज अगर वह एक औरत का मजाक बना रही है, कल उसका भी तो बन सकता है। इसलिए हम तो यही कहेंगे कि दूसरों के घर में झांकने से पहले अपने घर को जरूर देखें। दूसरों का मजाक बनाते-बनाते आप खुद ना मजाक बन कर रह जाएं। इसलिए अपने घर से ही सोच बदलने की कोशिश कीजिए।