कोरोना काल में वायरस से बचने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लाॅकडाउन के कारण जहां लोगों को आर्थिक तंगी से जुझना पड़ा तो वहीं एक और परेशानी लोगों के घरों में देखने को मिली। दरअसल, लाॅकडाउन के दौरान घर में बंद बच्चों में आनलाइन गेम्स की लत इतनी बढ़ गई है कि अब उसका असर उनके स्वभाव पर नज़र आ रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर समय पर सही कदम न उठाए गए तो यह बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि बच्चों में बढ़ रही इस लत को आखिर कैसे पहचानें-
सोशल मीडिया पर हाल ही में खबर सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ में 12 साल के बच्चे ने ऑनलाइन गेम अपग्रेड करने के लिए 3 महीनों में 278 बार 3.22 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन किया। पहले यह मामला ऑनलाइन ठगी का माना जा रहा था लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि ऑनलाइन गेमिंग का मामला निकला।
इसी तरह इससे पहले युनाइटेड किंगडम में भी एक मामला सामने आया था जिसमें 7 साल के एक बच्चे ने आनलाइन गेम में 1.3 लाख रुपए उड़ा दिए थे।
दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से देश में लगे लाॅकडाउन के दौरान बच्चों में गेमिंग की लत बहुत बढ़ गई है। जिससे उनका स्वभाव बहुत ही गुस्सैल और चिड़चिड़ा होता जा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि आज के समय में आनलाइन गेमिंग को रोकना आसान नहीं है,और किसी हद तक बुरी चीज़ भी नहीं है। वहीं बच्चों में बढ़ती यह समस्या इस कदर हावी हो घी है कि अभिभावक अब एक्सपर्ट और सायकाट्रिस्ट से सलाह तक लेने लग गए हैं।
गेम की लत पैसों की ट्रांजैक्शन तक पहुंची-
बच्चे फोन और लैपटॉप पर ऑनलाइन कक्षाओं के साथ-साथ ऑनलाइन गेम की तरफ ज्यादा समय बिता रहे हैं। जिससे बच्चों की उटडोर एक्टिविटीज कम हो गई हैं। ऐसे में बच्चे फोन पर ही कई तरह के फ्री ऑनलाइन गेम डाउनलोड कर रहे हैं। ये ऐसे गेम हैं, जिन्हें खेलते वक्त बच्चे को इसकी लत लग जाती है। इसके बाद लेवल अपग्रेड के नाम पर इन गेम्स में पैसों की डिमांड की जाती है। इस वजह से कई बच्चे बिना मम्मी-पापा से पूछे ही उनके कार्ड या यूपीआई से पैसों की ट्रांजैक्शन कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को समझाएं और उनकी मॉनिटरिंग करें।
ऑनलाइन गेम के दौरान बच्चे ने किया 3 हजार का ट्रांजैक्शन-
गुरुग्राम के डीएलएफ में रहने वाली एक अभिभावक का कहना है कि बीते दिनों उनके बच्चे ने भी ऑनलाइन गेम के दौरान 3 हजार का ट्रांजैक्शन गलती से किया। एक दिन बाद उन्होंने मेसेज देखा और बैंक को कॉल किया, जिसके बाद उन्हें सच पता चला। इस बारे में उन्होंने बेटे को समझाया।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
एक मनोचिकित्सक के अनुसार, ऑनलाइन गेम बच्चों की सेहत के लिए भी खराब हैं। ऑनलाइन गेम्स की वजह से बच्चे आउटडोर एक्टिविटी से दूर हो रहे हैं। जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को कुछ ऐसे इनडोर या आउटडोर गेम्स खिलाएं, जिनसे वह सेहतमंद रहें।
कैसे पहचानें बच्चों में गेम्स की लत को-
-जब बच्चा सबसे कटने लगे।
-बिना गेम्स के खाना-पीना न करे-
-छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा गुस्सा करे।
-हर कुछ समय में मोबाइल-लैपटाॅप और टीवी की जरूरत होनाय़
-उदास रहना।
-देर रात तक जागना।
कैसे करे मोबाइल से दूर-
-घर के छोटे-मोटे कामों में लगाएं।
- बच्चों के साथ म्यूजिक-डांस जैसी एक्टिविटी करे
-वाॅक-एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटी करे।
-दोस्तों से वीडियो काॅल करवाए।
-कहानी व उदाहरण के जरिए गेम्सके फायदे-नुकसान के बारे में बताएं।
इन चीजों का भी रखें खास ध्यान-
- इंटरनैशनल पेमेंट के ऑप्शन को हमेशा ऑफ रखें क्योंकि ज्यादातर गेम विदेश के ही होते हैं।
- ट्रांजैक्शन लिमिट तय कर दें।
- एक बार ट्रांजैक्शन करने के बाद उसे सेव न रखें।
- जिस फोन में ऑनलाइन पेमेंट की ऐप है, उस फोन को बच्चों से दूर रखें।
- बच्चा कौन सा गेम और कितने देर तक खेल रहा है, मॉनिटरिंग करते रहे।
- ओटीपी को लेकर सचेत रहें।