नवरात्रि त्योहार को देशभर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि इससे जीवन के सभी दुखों का अंत होकर घर में खुशियां दस्तक देती है। मगर क्या आप जानते हैं कि देवी मां के इन रूपों की तुलना आयुर्वेदिक औषधियां से भी होती है। इन नौ औषधि को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति और ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच माना गया है। मान्यता है कि इसका सेवन करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में इनका सेवन करने से ये मां दुर्गा के रक्षा कवच की तरह हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। चलिए जातने हैं इन नौ चमत्कारी औषधियों के बारे में विस्तार से...
हरड़- मां शैलपुत्री
हरड़ को देवी दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री का ही रूप माना जाता है। हरड़ मुख्य रूप से 7 तरह की होती है।
पहली- हरीतिका भय को दूर करने वाली
दूसरी- पथया यानि सभी के लिए फायदेमंद
तीसरी- कायस्थ जो शरीर को तंदुरुस्त बनाएं रखने में मदद करती है।
चौथी- यह अमृता हरड़ होती है। कहां जाता है कि इसका सेवन अमृत समान होता है। ऐसे में इसे खाने से शरीर दुरुस्त रहता है।
पांचवां- हेमवती, जिसका अर्थ है हिमालय में पैदा होने वाली
छठी- चेतकी यानि मन खुश करने वाली
सातवीं- श्रेयसी यानि सभी का कल्याण करने वाली
ब्राह्म- मां ब्रह्मचारिणी
इसे दुर्गा मां का दूसरा यानि ब्रह्माचारी रूप माना जाता है। इसका सेवन करने से दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है।स्मरण शक्ति तेज होती है। खून संबंधी समस्याएं दूर होती है।
चन्दुसूर- चंद्रघंटा
इसे चंद्रघंटा का रूप माना जाता है। इसके पत्ते दिखने में धनिया की तरह होते हैं। चन्दुसूर का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। ऐसे में दिल संबंधित समस्याओं की चपेट में आने का खतरा कम रहता है। इसके साथ ही मोटापा कंट्रोल रहता है।
कुम्हड़ा- मां कूष्माण्डा
इसे दुर्गा मां के कूष्माण्डा का रूप माना जाता है। इसके सेवन से इम्यूनिटी व पाचन तंत्र मजबूत होता है। रक्त विकार दूर होते हैं। यह हार्ट पेशेंट्स के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके साथ ही मानसिक व शारीरिक विकास बेहतर तरीके से होता है। पुरूषों द्वारा इसका सेवन ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।
अलसी- मां स्कंद
अलसी के दानों की तुलना मां स्कंद से की जाती है। इसके सेवन से डायबिटीज व ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है। इम्यूनिटी तेजी से बढ़ती है। मोटापा कंट्रोल रहने में मदद मिलती है। इसके साथ ही शरीर में वात, पित्त और कफ से जुड़े रोग दूर रहते हैं।
मोइया- कात्यायनी मां
मोइया औषधि को मां कात्यायनी का रूप माना जाता है। इसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका व माचिका भी कहा जाता है। इस चमत्कारी औषधि का सेवन करने से कफ, पित्त और गले के रोग दूर रहते हैं।
नागदौन- मां कालरात्रि
नागदौंन का संबंध मां कालरात्रि से माना जाता है। इस औषधि का सेवन करने से शारीरिक व मानसिक समस्याएं दूर होने में मदद मिलती है। ऐसे में बीमारियों से बचाव रहता है।
तुलसी- मां महागौरी
तुलसी का संबंध मां महागौरी से होता है। तुलसी पोषक तत्व, एंटी-ऑक्सीडेंट्स व औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका सेवन करने से इम्यूनिटी व पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। खून साफ होने में मदद मिलती है। फेफड़ों, दिल व गले संबंधित बीमारियों से बचाव रहता है।
शतावरी- मां सिद्धिदात्री
इसे देवी मां का नौवां रूप कहा जाता है। शारीरिक व मानसिक विकास बेहतर होता है। इसके अलावा वात और पित्त संबंधी विकार दूर होते हैं। रोजाना इसका सेवन करने से रक्त विकारों से भी बचाव रहता है।