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मृत्यु के देवता यमराज को क्यों किया जाता है दीपदान? जानिए इसकी सही विधि और मंत्र

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 25 Oct, 2024 09:40 PM
मृत्यु के देवता यमराज को क्यों किया जाता है दीपदान? जानिए इसकी सही विधि और मंत्र

नारी डेस्कः दीपों के त्योहार दीपावली को आने में कुछ दिन ही रह गए हैं और दीपावली से पहले धनतेरस, यम चतुर्दशी का पर्व भी मनाया जाता है। यम चतुर्दशी को ही नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन यम की पूजा  की जाती है और उनके नाम का दीप जलाया जाता है। इस बार दीपावली की तारीख की कंफ्यूजन के चलते लोगों को यम चतुर्दशी की भी कंफ्यूजन है कि आखिर किस दिन यम का दीपक जलाना चाहिए। कोई 30 अक्टूबर तो कोई 31 अक्टूबर को यम चतुर्दशी बता रहा है। अगर आप भी इसी कन्फ्यूजन के बीच तो चलिए आपको यम चतुर्दशी की सही तारीख के बारे में बताते हैं। 

नरक चतुर्दशी कब है? Narak Chaturdashi 2024 Shubh Muhurat Date

पंचांग के अनुसार, इस बार नरक चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्तूबर सुबह 11 बजकर 23 मिनट से हो रही जो अगले दिन 31 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, यम चतुर्दशी पर यम के नाम का दीप प्रदोष काल यानी शाम के समय जलाते है। ऐसे में यम चतुर्दशी की पूजा 30 अक्टूबर को ही की जाएगी।

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नरक चतुर्दशी पर यम दीप क्यों जलाया जाता है? Yam Deepdan Kyu Kiya Jata hai 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यम चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता, यमराज की पूजा होती है। इस दिन यम के नाम का दीप जलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यम यातनाओं से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दीप को जलाने से अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है। यमराज देव को नियत समय पर प्राण हरने का काम सौंपा गया है। यह सब जानते हैं कि मृत्यु से कोई बच नहीं सकता लेकिन अकाल मृत्यु से बचाव किया जा सकता है। अकाल मृत्यु को रोकने के लिए धनत्रयोदशी, नरक चतुर्दशी और यमद्वितीया के दिन मृत्यु के देवता, यमराज की पूजा की जाती है। शाम के समय गेहूं के आटे से बना तेल का दीपक (या तेरह तेल के दीपक) जलाए जाते हैं। इन दीपकों को घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखकर रखा जाता है। वहीं इस दिन को छोड़कर जलते हुए दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं रखी जाती।

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यमदिपदान का महत्व |

कार्तिकसत्यसिते पक्षे त्रयोदशायां निशामुखे।
यमदीपं बहिरद्यादपमृत्युर्विनिश्म्यति।। – आदर्शकन्दपुराण

अर्थ: कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की शाम को घर के बाहर मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीप जलाने से अकाल मृत्यु टल जाती है। यमदेव ने अपने गणों को यह वरदान दिया था कि जो लोग धनत्रयोदशी के दिन दीपदान करेंगे , उनकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।

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दीप जलाने की सही दिशा और शुभ मुहूर्त Narak Chaturdashi ki Disha 

पंचांग के अनुसार, 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 30 मिनट से 07 बजकर 2 मिनट का समय, यम के नाम का दीप जलाने के लिए सबसे उत्तम समय है। घर के बाहर दक्षिण दिशा में यम दीपक जलाना चाहिए। यह दीप चौमुखी होना चाहिए और इसे सरसों तेल से जलाना चाहिए। और याद रखें कि यम दीपक को घर के अंदर नहीं जलाना चाहिए।

यमदीपदान के दौरान करें इस मंत्र का जप |  Yam Deepdan kaise kare 

स्कन्द पुराण के अनुसार, यमदीपदान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को शाम के समय किसी पात्र में मिट्टी के दीपक रखकर उन्हें तिल के तेल से पूर्ण करें वहीं कुछ लोग सरसों के तेल में भी यह दीप जलाते हैं। दीप जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके 'मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥' का मंत्र जाप करें और दीपों का दान करें। इससे यमराज प्रसन्न होंगे। यह त्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी शुभ होती है। यदि वह दो दिन हो या न हो तो दूसरे दिन करें।

नोटः इस बारे में ज्यादा जानकारी अपने ज्योतिष से ले सकते हैं। यहां दी गई जानकारी इंटरनेट के माध्यम से दी गई है। 

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