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तीरंदाजी में करियर बनाना चाहती थी मीराबाई चानू, रियो ओलंपिक में अपने ही 'आदर्श' को दी थी मात

  • Edited By Bhawna sharma,
  • Updated: 24 Jul, 2021 01:37 PM
तीरंदाजी में करियर बनाना चाहती थी मीराबाई चानू, रियो ओलंपिक में अपने ही 'आदर्श' को दी थी मात

टोक्यो ओलंपिक 2020 का आगाज हो गया है। ओलंपिक के दूसरे दिन भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने 49 किग्रा महिला वर्ग के वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। इसके साथ ही मीराबाई चानू टोक्यो 2020 में पदक जीतने वाली पहली और वेटलिफ्टिंग में  मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गई हैं। इससे पहले मीराबाई चानू ने 2016 में अपने आदर्श को हराया था। 

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तीरंदाजी में बनाना चाहती थी करियर

सुदूर के मणिपुर में जन्मी मीराबाई चानू का बचपन से सपना था कि वो तीरंदाजी में अपना करियर बनाए। हालांकि मीराबाई ने 8वीं कक्षा में अपना इरादा बदला और वेटलिफ्टिंग को करियर के तौर पर चुना। किताब के एक चैप्टर इम्फाल की वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी की सफलाता की कहानी ने मीराबाई को काफी प्रभावित किया। जिसके बाद उन्होंने तीरंदाजी छोड़ वेटलिफ्टर बनने का फैसला किया। 

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अपनी आदर्श को हरा चुकी हैं मीराबाई चानू 

साल 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था। वहीं साल 2016 में हुए मीराबाई चानू ने रियो ओलंपिक गेम्स के क्वालीफाई मैच में अपनी आदर्श वेटलिफ्टर कुंजरानी को हराया था। 

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ओलपिंक 2020 में इतिहास रचने वाली मीराबाई चानू ने 2017 में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल अपने नाम कर देश का नाम रोशन किया था। इसके अलावा उन्होंने 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 

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