जासूसी को अक्सर खतरे से भरा हुआ प्रोफेशन मना जाता है, इसलिए यह जॉब ज्यादातर लड़के ही करते है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस प्रोफेशन में एक महिला ने इतनी कामयाबी हासिल की, की लड़को को पीछे छोड़ दिया? यह कर दिखाया है भारत की लेडी जेम्स बॉन्ड कही जाने वाली 'रजनी पंडित' ने। आज रजनी 60 साल की हैं और उन्होंनें 80,000 से ज्यादा के सॉल्व किए हैं। उन्होंनें 57 अवार्ड भी अपने नाम किए हैं।
22 साल की उम्र में किया पहला केस सॉल्व
रजनी का जन्म 1962 में महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुआ। रजनी के पिता सीआईडी में कार्यरत है। अपने पिता की इन आदतों के गुण उनमें भी आ गए। वह अक्सर लोगों के हाव भाव देखकर ही पहचान लेती थी कि सामने खड़ा शख्स सच बोल रहा है या झूठ।अपने पिता से जासूसी के किस्से सुनते-सुनते रजनी ने भी मन ही मन जासूस बनने की ठान ली। ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्हें एक ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिली। रजनी ने अपने पैरों पर खड़े होने की शुरुआत इसी ऑफिस से की।
वह जिस ऑफिस में काम कर रही थी वहां की सहकर्मी महिला ने रजनी से अपनी परेशानी साझा की। उसने बताया कि उसके घर में चोरी हो गई है, लेकिन चोर का कोई पता नहीं चल रहा। महिला ने यह भी बताया कि उसे अपनी ही बहू पर शक है। उसे पता था कि रजनी की इन बातों में ज्यादा दिलचस्पी है और वह किसी अन्य पर भरोसा भी नहीं कर सकती थी। इसलिए रजनी ने इस गुत्थी को सुलझाने का जिम्मा उठाया। लंबी छान-बीन के बाद के बाद आखिकार रजनी ने गुत्थी को सुलझा लिया। असल में चोरी उसी औरत के बेटे ने की थी। यह रजनी का पहला केस था। इसके बाद रजनी को एक के बाद एक बहुत से केस मिलने लगे और उसने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
कभी बनी नौकरानी तो कभी प्रेग्नेंट महिला
1991 में रजनी ने रजनी इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के नाम से अपनी डिटेक्टिव एजेंसी खोली। एजेंसी में 30 और जासूस रजनी के साथ काम करते है। केस सुलझाने के लिए रजनी भी नौकरानी बनी तो कभी प्रेग्नेंट महिला का किरदार निभाया। रजनी मानती है कि अभी तक का सबसे टफ केस उनके लिए मिस्ट्री का केस था, लेकिन बहुत मश्क्कत के बाद ये केस आखिकार उन्होंनें सॉल्व कर दिया।
आपको बता दें की रजनी ने 'फेसिस बिहाइंड फेसिस' और 'मायाजाल' नाम से दो किताबें भी लिखी है।