हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह व्रत रखा जाता है। इस महीने यह व्रत 10 अप्रैल दिन शनिवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर शिव जी पूजा व व्रत रखने से शुभफल की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं नासिक शिवरात्रि व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि...
शुभ मुहूर्त
चैत्र कृष्ण चतुर्दशी आरंभ- 10 अप्रैल, शनिवार, सुबह 04:27 मिनट से
चैत्र कृष्ण चतुर्दशी अंत- 11 अप्रैल, रविवार, सुबह 06:03 मिनट पर
मासिक शिवरात्रि का महत्व
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आने वाली समस्याएं दूर होती है। जीवन की परेशानियां दूर होने के साथ सच्चे में मन से मांगी गई मनोकामना पूरी होती है।
पूजा सामग्री
पूजा सामग्री में सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, शहद, गंगा जल, बेर, जौ, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, शुद्ध देसी घी, दही, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, इत्र, पंच रस, गंध रोली, पंच मिष्ठान्न, पंच फल, पंच मेवा, मौली, जनेऊ, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, चांदी, पूजा के बर्तन और आसन आदि शामिल करें।
पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि का पूजा त्रयोदशी तिथि यानि एक दिन पहले शुरू हो जाती है।
- इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करके व्रत का संकल्प लें।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- कोशिश करें कि आपके कपड़ों का रंग सफेद या पीला हो।
- अब मंदिर या घर के पूजा स्थल पर शिव परिवार की स्थापना करके उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
- फिर बेलपत्र, फल, फूल, धूप, दीप, भोग और इत्र चढ़ाएं।
- शिव पुराण, शिव चालीसा, शिवाष्टक, शिव मंत्रों का जाप करके शिव आरती करें।
- रात्रि के चारों पहर में शिव पूजा करें।
- अगली सुबह गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और कुछ दान करें। फिर इसके बाद व्रत का पारण करें।