आज से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो गई है। यह व्रत धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण अष्टमी तक के 16 दिन तक महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है। आज से प्रारंभ होकर यह व्रत 17 सितंबर कोपूर्ण होंगे। मुख्य रूप से यह व्रत गणेश चतुर्थी के 4 दिन बाद से प्रारंभ होता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सुख - समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। अगर आप ये व्रत करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले इनकी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त जान लें
कब हुई थी इस व्रत की शुरूआत
भविष्य पुराण में यह उल्लेखित है कि, जब जुए में कौरवों के हाथों पांडवों की हार हुई थी और उन्हें अपना धन गंवाना पड़ा था , तब धन प्राप्ति के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा था। तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को महालक्ष्मी व्रत करने का उपाय बताया था। तब से लेकर अब तक लोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत रखते हैं।
महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
महालक्ष्मी व्रत तिथि आरंभ- 3 सितंबर 2022, दिन शनिवार, दोपहर 12: 28 मिनट से
महालक्ष्मी व्रत तिथि समाप्न- 4 सितंबर 2022, दिन रविवार, सुबह 10:39 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:36 - 05:22
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:01 - 12:51
अमृत काल - दोपहर 12:55 - 02:28
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:32 - 03:23
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06.32 - 06.56
महिलाएं 4 सिंतबर 2022 को अष्टमी तिथि समाप्त होने से पहले भी इस व्रत की शुरुआत कर सकती हैं।
महालक्ष्मी पूजा विधि
. सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. देवी मां की पूजा व व्रत पति-पत्नि दोनों रख सकते हैं।
. घर के मंदिर को साफ करके उसके आसपास लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
. फिर कलश में पानी भरकर उसपर कलावा बांधकर चौकी पर रखें।
. कलश पर 8 आम के पत्ते रखकर ऊपर कच्चा नारियल रख दें।
. देवी मां की मूर्ति स्थापित करें।
. महालक्ष्मी के मंत्रों का जप करें।
. इन पावन दिनों में अष्ट सिद्धियों की पूजा लक्ष्मी के रूप में की जाती है।
. पूजा के बाद आरती करें।
. रोजाना माता रानी को सफेद मिठाई, मिश्री, पंचमेवा, किशमिश, खीर आदि का भोग अर्पित करें।
. श्री सूक्त का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
. इसके साथ देवी मां के अष्ट लक्ष्मी के मंत्र ओम् कामलक्ष्म्यैनमः। ओम् आद्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् सत्यलक्ष्म्यै नमः। ओम् योगलक्ष्म्यै नमः। ओम भोगलक्ष्म्यै नमः। ओम् विद्यालक्ष्म्यै नमः। ओम् अमृतलक्ष्म्यै नमः। ओम् सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः। मंत्रों का रोजाना जप करें।
ऐसे करें उद्यापन
. इस 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को किया जाता है।
. शाम के समय देवी माता की पूजा व आरती करके भोग लगाएं। फिर सफेद मिष्ठान्न, खीर, किशमिश आदि चीजें बनाकर किसी सौभाग्यशाली महिला को खिलाएं।
. साथ ही उन्हें सुंदर वस्त्र,साड़ी, श्रृंगार सामग्री देकर महालक्ष्मी व्रत का समापन करें।
इस 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को होता है। ऐसा कहा जाता है कि राधा का जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को हुआ था। राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का अंत होता है। राधे-राधे जपने से कृष्ण भक्ति का फल मिलता है।