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मां सिद्धिदात्री को करना है प्रसन्न तो नौवे दिन जरूर करें ये काम, घर आएगी सुख-समृद्धि

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 10 Oct, 2024 08:43 PM
मां सिद्धिदात्री को करना है प्रसन्न तो नौवे दिन जरूर करें ये काम, घर आएगी सुख-समृद्धि

नारी डेस्कः नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं। मां को सिद्धियों की देवी कहते हैं। मां का वाहन सिंह है और देवी कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से इच्छा पूर्ति होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। नवरात्रि के दौरान, उनका विशेष पूजन किया जाता है। माता सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा, कथा, मंत्र व भोग इत्यादि लगाकर कन्या पूजन किया जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी स्वयं कन्या के रूप में घर में पधारती हैं। माता की विधि विधान से पूजा और मंत्रों के उच्चारण से अष्ट सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति की जा सकती है।

माता सिद्धिदात्री की कथा  (Maa Siddhidatri Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव, माता सिद्धिदात्री की घोर तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से माता सिद्धिदात्री प्रसन्न हो गई और उन्होंने भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति का वरदान दिया। इस वरदान के फलस्वरूप, भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हो गया और भगवान शिव को अर्धनारीश्वर का नाम प्राप्त हुआ। शिवजी का यह रूप संपूर्ण ब्रह्माण्ड में पूजनीय है।

राक्षसों के अत्याचारों से दुखी, ऋषि मुनि और देवता दुखी थी। इसी बीच जब पृथ्वी पर महिषासुर नामक दैत्य के अत्याचारों की अति हो गई थी, तब उस दानव के अंत हेतु सभी देवतागण भगवान शिव तथा विष्णु जी से सहायता लेने पहुंचे। उस दानव के अंत के लिए सभी देवताओं के तेज के ज़रिए माता सिद्धिदात्री उत्पन्न हुई।

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मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग (Maa Siddhidatri ka Bhog)

मां सिद्धिदात्री को लाल रंग के फूल, फल और मीठे पकवान अर्पित करें। मां को खीर, पूरी और हलवे का भोग लगाएं। माता सिद्धिदात्री को प्रसाद में नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के  फल अर्पित करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। आप कमल और लाल गुलाब के फूल अर्पित कर सकते हैं। 

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि (Maa Siddhidatri Puja Vidhi)

कमल या गुलाब के फूलों की माला मां को अर्पित करें। कन्या भोजन के लिए बनाए प्रसाद चना, हलवा, पूड़ी का प्रसाद चढ़ाएं। "ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः  मंत्र का एक 108 बार जाप करें। कन्या पूजन करें और फिर दान-दक्षिणा दें। कन्याओं से आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। अपना व्रत खोलें और हलवा पूरी का प्रसाद ग्रहण करें।  

मां सिद्धिदात्री का मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)

मंत्र: ॐ ह्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः । विशेष फल की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

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मां सिद्धिदात्री की आरती (Siddhidatri Mata ki Aarti)

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।


 

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