शारदीय नवरात्रि की तैयारियां घरों में शुरू हो गई हैं। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ यह है कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती हैं। इसमें से चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। हर वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ होती है।
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। पुरानी कथाओं के अनुसार सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। धर्म ग्रंथों में शारदीय नवरात्रि को लेकर कई कथाएं बताई गई हैं, आज आपको इन्हीं में से एक कथा बताने जा रहे हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नाम का एक दैत्य वरदान पाकर देवताओं को सताने लगा था। तब एक दिन सभी देवता मिलकर शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। तीनों देवताओं ने आदि शक्ति का आवाहन किया। भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया। अन्य देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। देवताओं से शक्तियां पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध हुआ जो 9 दिनों तक चला। दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया।
मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया। इन्हीं 9 दिनों को यादकर हमारे पूर्वजों ने नवरात्रि पर्व मनाने की शुरूआत की। नवरात्रि की एक कथा भगवान श्रीराम से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि जब श्रीराम ने वानरों की सेना लेकर लंका पर हमला किया तो उन्होंने राक्षसों की सेना का सफाया कर दिया। सबसे अंत में रावण युद्ध के लिए आया, तब श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए देवी अनुष्ठान किया, जो लगातार 9 दिन तक चला। अंतिम दिन देवी ने प्रकट होकर श्रीराम को विजय का आशीर्वाद दिया। इसलिए इस समय हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
माना जाता है कि इस दौरान दुर्गा मां की विशेष पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र आरंभ होने से पहले घर या प्रतिष्ठान की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। नवरात्र के नौ दिनों में अपने घर या प्रतिष्ठान के बाहर स्वास्तिक बनाएं। ऐसा करने से यश में वृद्धि होती है। माता के आगमन के स्वागत के लिए आप पूजा स्थल को लाल रंग के फूलों से सजा सकते हैं और पूजा में भी इसी रंग के फूल, वस्त्र, रोली, चुनरी का प्रयोग करें।