जैसे ही एक औरत का जन्म होता है। उसमें एक क्वालिटी अपने आप पनपने लगती है। इस गुणवत्ता का नाम है 'बलिदान करना', यह खूबी हर औरत में होती है। कभी वो बेटी बनकर अपने सपनों का बलिदान करती है तो कभी मां बनकर रात को अपने हिस्से की रोटी बच्चों को खिलाकर यूं ही दान करती है। लेकिन वो अपने आत्म सम्मान का भी बलिदान देती है जब वो घर में ही हिंसा का शिकार होती है। वो रोज यह दर्द सहती है मगर फिर भी चुप रहती है। हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन ने एक कविता के माध्यम से घरेलू हिंसा पर अपनी आवाज उठाई है।
जैसे ही सूरज की किरणे डूबती है, खून के रंग से रंग जाती है
मेरा दिल और आत्मा भी उसके साथ डूब जाता है
मैं डर से कांप उठती हूं जब घड़ी पर 8 बजते है
सोचती हूं कि शायद आज वो देरी से आएगा
मगर मैंने उसके आने की आहट सुन ली है
ये कोई अजनबी की आहट नहीं है
मैं उसकी खुशबू को महसूस कर सकती हूं
वो फिर से पी कर आया है
वो मुझे फिर से दर्द देगा
फिर से वो प्लेट तोड़ेगा
फिर से एक घांव छोड़ेगा
मैं बेबस होकर रोऊंगी
कुछ नहीं कर पाउंगी
मेरा सिसकना उसकी लोरी की तरह होगा
वो मेरा सिसकना सुनकर सो जाएगा
कोई भी जगह नहीं बची जहां एक नया घांव मिलेगा
वो मुझे रोज दर्द देता है
यह अफसाना चलता रहेगा
मैं एक ऐसा सपर्श ढूंढ रही जो मेरे घांव का इलाज कर सकें
क्योंकि मैं अपनी जिंदगी बदल नहीं सकती, मैं आवाज नहीं उठा सकती
कृति ने बताया कि उन्होंने यह कविता इसलिए शेयर की है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान बहुत-से घरेलू हिंसा के केस पढ़ने को मिले है। यह किस्सा बढ़ रहा है। उन्होंने 11 वीं कक्षा में यह कविता लिखी थी। यह हादसा उनकी काम करने वाली बाई के साथ हुआ था। आज के दौर में घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना बेहद जरुरी है।