अपनी प्यारी सी स्माइल और चुलबुले अंदाज के लिए फेमस काजोल स्टारडम के मामले में भी अपनी मां तनुजा पर गई है...बात तनुजा की करें तो उन्होंने अपने जमाने में खूब नाम कमाया..कभी एक्टिंग को लेकर तो कभी बिंदास स्टाइल को लेकर... तनुजा का जन्म 23 सितंबर 1943 को हुआ था। तनुजा फिल्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती थीं। जहां उनकी मां शोभना समर्थ एक अभिनेत्री थीं, वहीं उनके पिता प्रोड्यूसर कुमारसेन समर्थ थे। जबकि तनुजा की बड़ी बहन नूतन भी हिंदी फिल्मों की बड़ी स्टार थीं।
सेट पर तनुजा की हरकतों से परेशान रहते थे सभी
तनुजा का बैकग्राउंड फिल्मी था तो उनके लिए फिल्मों में आना भी काफी आसान था..मगर मां ने कभी उन्हें इस चीज का फायदा नहीं उठाने दिया। मां शोभना समर्थ ने तनुजा को 1960 में फिल्म 'छबीली' में लॉन्च किया था। मगर फिल्म की शूटिंग में तनुजा इतने नखरे दिखाती थीं कि पूरी यूनिट परेशान रहती थी। बस यहीं हाल उनका केदार शर्मा की फिल्म 'हमारी बेटी' में भी था। तनुजा सेट पर हंसी-मजाक में बिजी रहती थीं। लेकिन केदार शर्मा को उनकी ये हरकतें बिल्कुल पसंद नहीं थी।
मां के एक थप्पड़ ने सवार दी थी जिंदगी
दरअसल, एक सीन के दौरान तनुजा को रोना था लेकिन वो बार-बार हंसे जा रही थी और बोलीं कि आज मेरा रोने का मूड नहीं। केदार शर्मा को गुस्सा आया और उन्होंने सबके सामने तनुजा को तमाचा जड़ दिया। जिसके बाद तनुजा ने पूरा आसमान रो-रोकर सिर पर उठा लिया और अपनी मां के पास शिकायत करने पहुंच गई। जब तनुजा ने मां को पूरी बात बताई तो उल्टा मां ने उन्हीं को थप्पड़ मार दिया क्योंकि शोभना को अपनी बेटी के व्यवहार की जानकारी थी। फिर तनुजा को रोते-रोते सेट पर लेकर पहुंची और केदार से बोलीं लो अब तनुजा रो रही हैं, शूटिंग पूरी कीजिए। मगर गुस्से में मां के हाथ से तनुजा के गाल पर पड़े तमाचे ने उनका करियर जरूर सवार दिया।
टॉम ब्वॉय से मिली इंडस्ट्री में पहचान
भले ही तनुजा की डेब्यू फिल्म 'छबीली' थी मगर वो 1950 में बहन नूतन की फिल्म में भी बतौर बालकलाकार के रूप में नजर आ चुकी थी जिसके बाद उन्हें पढ़ाई के लिए स्विट्जरलैंड भेज दिया गया...वापिस आने के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा। तुनजा ने हिंदी के साथ बांग्ला, गुजराती, मराठी, मलयालम और पंजाबी फिल्मों में भी काम किया जहां उनके अभिनय को खूब सराहा गया। इसी बीच तनुजा बोल्ड कपड़े पहनने और सिगरेट पीने के लिए मशहूर हुई। 50- 60 के दशक में तुनजा की पहचान टॉम ब्वॉय के रूप में होने लगीं।
गुरुदत्त के आगे बोल दी थी इतनी बड़ी बात
फिल्मों में तुनजा ने इतना सहज अभिनय किया कि दर्शकों को लगने लगा कि गीता बाली की कमी इंडस्ट्री में अब वो पूरी करेंगी...और ऐसा हुआ भी। तनुजा ने अपनी जिंदगी बिंदास अंदाज में जी है। उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं की लोग क्या कहेंगे। अपने इसी अंदाज के चलते एक बार उन्होंने फिल्म ‘बहारें फिर भी आएंगी’ की शूटिंग के दौरान फिल्मकार गुरुदत्त से इतना तक कह डाला था कि ' ऐ गुरु तू जब मर जाएगा अपनी लाइब्रेरी मेरे नाम लिख जाना। '
जब फिल्मी करियर सीढ़ियों पर आया तो साल 1973 में तनुजा ने बंगाली डायरेक्टर शशधर मुखर्जी के सबसे छोटे बेटे शोमू मुखर्जी से शादी कर ली। शादी के बाद उनके घर दो बेटियां काजोल और तनिषा का जन्म हुआ..जब काजोल का जन्म हुआ तो तनुजा और उनकी पति के बीच नाम को लेकर काफी झगड़ा हुआ जिसका जिक्र खुद एक बार काजोल ने किया था।
मां की जिद्द से रखा गया था काजोल का नाम
दरअसल, काजोल, तनुजा और शोमू मुखर्जी की पहली संतान थीं जिस वजह से दोनों ही उनके नाम को लेकर एक्साइटेड थे। काजोल के पापा शोमू मुखर्जी उनका नाम ‘मर्सिडीज’ रखना चाहते थे... मगर तनुजा का यह पसंद नहीं था। इस कारण काजोल की मां तनुजा और उनके पिता का काफी झगड़ा हुआ।
शोमू मुखर्जी का कहना था कि प्रसिद्ध कार कंपनी मर्सिडीज के मालिक ने अपनी कंपनी का नाम अपनी बेटी मर्सिडीज के नाम पर रखा था। काजोल के पापा का कहना था कि अगर उस कार कंपनी के मालिक की बेटी का नाम मर्सिडीज हो सकता है तो उनकी खुद की बेटी का क्यों नहीं! इस बात पर वो अड़े रहे और काफी झगड़े और तनुजा के कड़े विरोध के बाद उन्होंने अपनी जिद छोड़ी।
काजोल निभा रही सालों से चली आ रही परंपरा
बता दें कि तनुजा की नानी रतनबाई और नानी की बहन नलिनी जयवंत भी अभिनेत्रियां थीं। नानी के बाद तनुजा की मां शोभना तो उनके बाद तनुजा और नूतन ने फिल्मीं करियर चुना...इनके बाद तनुजा की दोनों बेटियों ने इसी फील्ड को अपना करियर बनाया...हालांकि, तनिषा इतनी फेमस नहीं हुई लेकिन काजोल ने सालों से चली आ रही बॉलीवुड में इस परिवार की परंपरा को हमेशा कायम रखा....जी हां, इस परिवार की सभी बेटियों ने इंडस्ट्री पर राज किया.. काजोल का राज तो आज भी बरकरार है।