बॉलीवुड के डेशिंग और हैंडसम स्टार 'शाहिद कपूर' के बारे में तो सब जानते हैं। उनके स्टाइल के लाखों फैंस हैं और अपनी मैरिड लाइफ के लिए भी वह सुर्खियां बटौरते ही रहते हैं। उन्होंने नॉन फिल्मी लड़की मीरा राजपूत से शादी की जिनसे उन्हें 2 बच्चे हैं और अपनी फैमिली के साथ शाहिद एक मजबूत बॉन्ड शेयर करते हैं लेकिन इस मामले में शाहिद की मां लक्की साबित नहीं हुई। उन्होंने एक दो नहीं बल्कि तीन शादियां की और तीनों ही शादियों को वह बचा नहीं पाई। लोगों ने बातें बनाई कि कैसी औरत है ये, तीन शादियां कीं, तीनों टूट गईं, बेटे से भी अलग रही है। तीन- तीन मर्दों को पाने के बाद भी वह अकेली ही रह गई लेकिन इस बारे मे नीलिमा अजीम का कुछ और ही कहना है।
चलिए आज के पैकेज में नीलिमा अजीम की ही स्टोरी आपके साथ साझा करते हैं। आखिर ऐसा क्या था जो उनकी तीनों ही शादियां नाकाम रहीं। शाहिद की मां नीलिमा अजीम हिंदी सिनेमा की जानी मानी एक्ट्रेस रही हैं। 2 दिसंबर साल 1958 में दिल्ली में पैदा हुई नीलिमा ने फिल्मों के अलावा टीवी सीरियल्स में भी काम किया। नीलिमा ने साल 1975 में पंकज कपूर से शादी की। उस समय नीलिमा सिर्फ 16 साल की थी और पंकज 21 साल के। इस शादी से उन्हें शाहिद कपूर हुए थे लेकिन रिश्ता महज 9 साल ही चला साल 1984 में दोनों का तलाक हो गया हालांकि दूरियां तो पहले ही आ चुकी थी।
इंटरव्यू में बताई थी अलग होने की वजह
इस पर नीलिमा ने पिंकविला इंटरव्यू में कहा था, 'अलग होने का फैसला मेरा नहीं था। ये एक सच्चाई थी। वह (पंकज कपूर) अपनी लाइफ में आगे बढ़ गए थे। ये बात पचा पाना मेरे लए काफी मुश्किल था। मैंने अपने दोस्त से शादी की थी। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। मुझे बिल्कुल इस बात का अंदाजा नहीं था कि लाइफ में एक समय ऐसा भी आएगा जहां आपका पांव फिसल जाएगा और आपका सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।'
प्रेगनेंसी के दिनों को याद करते हुए नीलिमा ने कहा, 'हमारा कोई घर नहीं था और वह वह मुझे छोड़ गए थे। शाहिद का जन्म दिल्ली में हुआ था, जब मैं अपने माता-पिता के साथ रह रही थी, क्योंकि पंकज हमें पहले ही छोड़कर चले गए थे। जिस समय मैंने शाहिद को कंसीव किया था, यह बात पता चलने से पहले ही पंकज फिल्म और टीवी में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आकर शिफ्ट हो गए थे। मैंने उन्हें सपोर्ट किया था क्योंकि मुझे पता था वह बहुत टैलेंटेड इंसान हैं, जिन्हें अपने टैलेंट को एक्स्प्लोर जरूर करना चाहिए हालांकि मैं अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान अपने पैरेंट्स और भाई के पास ही रही, जिन्होंने मेरा बहुत ख्याल रखा था। शाहिद का जन्म भी मेरे माता-पिता के घर में ही हुआ था ऐसा इसलिए क्योंकि पंकज और मेरा साथ में कभी कोई घर नहीं था। वह मुझे पूरी तरह अकेला छोड़कर चले गए थे।'
बिहार के नामी खानदान से ताल्लुक रखती हैं नीलिमा
बता दें कि नीलिमा अजीम बिहार के एक नामी खानदान से ताल्लुक रखती हैं। उनके ग्रेट ग्रैंड फादर ख्वाजा अहमद अब्बास उर्दू के जाने-माने लेखक और फिल्मकार थे और पिता अनवर अजीम बहुत बड़े फोटोग्राफर थे। सिर्फ 14 साल की उम्र में ही वह कत्थक की दुनिया में नाम कमा चुकी थी। 14 साल की उम्र में वह स्टैंप पर आ चुकी थी। गर्वमेंट ने हेरिटेज स्टैंप निकाले थे, जिसमें हर क्लासिकल डांस दिवा की तस्वीर थी। नीलिमा ने भी कत्थक को रिप्रिजेंट किया था। महज 20 साल की उम्र में उन्हें इंदिरा गांधी अवॉर्ड मिला। गंगूबाई हंगल गाते, अली अकबर खां साब बजाते और नीलिमा कत्थक करती। उन्होंने यामिनी कृष्णामूर्ति के साथ भी नृत्य किया उस समय अखबारों में 'प्रिसेंज ऑफ कत्थक' जैसे शीर्षक दिए जाते थे।
बता दें कि नीलिमा पंडित बिरजू महाराज की शिष्या रही हैं और बहुत कम समय में उन्होंने कत्थक की दुनिया में अपनी खास जगह बना ली थी। उसी समय के दौरान नीलिमा की पकंज कपूर के साथ मुलाकात हुई थी। उस समय वह दिल्ली के थिएटर वर्ल्ड में वह एक्टिव थी जहां उन्होंने नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर और राज बब्बर के साथ कई चर्चित नाटकों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया। नाटकों के रिहर्सल के दौरान ही नीलिमा पंकज करीब आए थे। यहीं से नृत्य और थिएटर जगत में उनकी पॉपुलैरिटी के चलते ही सिर्फ 15 साल की नीलिमा को फिल्में ऑफर होने लगी थी। वहीं पंकज के साथ उनका प्यार भी परवान चढ़ा और दोनों ने दिल्ली में शादी कर ली लेकिन अफसोस यह प्यार कुछ दिनों का ही रहा।
नीलिमा ने कहा, 'यह शादी हालातों और दूरियों की वजह से टूटी। मैं दिल्ली में थी और पंकज साब मुंबई में थे। हम साथ रहे ही नहीं। हमारा घर बसा ही नहीं। शादी के फौरन बाद पंकज मुंबई आ गए थे। गृहस्थी पति-पत्नी के साथ रहने से बनती है। पंकज और मेरी फैमिली बनी ही नहीं।'
जब दोनों अलग हुए तब शाहिद की उम्र महज साढ़े तीन साल थी। नीलिमा भी बेटे शाहिद को लेकर दिल्ली से मुंबई आ गई। तब तक उनका पहला सीरियल 'फिर वही तलाश' बहुत पॉपुलर हो चुका था फिल्मों की लाइनें लगी थी और 80 प्रतिशत फिल्म इंडस्ट्री नीलिमा की दीवानी थी लेकिन नीलिमा ने फिल्मों की बजाए सीरियल में काम करने का फैसला किया क्योंकि वह शाहिद को खुद के दम पर पालना चाहती थी और टीवी में रेगुलर पैसा आता है इसलिए उन्होंने टीवी की अपनी कमाई से शाहिद को पढ़ाया-लिखाया। नीलिमा ने तलाश, जुनून, कश्मीर, सांस जैसे कई धारावाहिकों में काम किया। इस दौरान ही उनकी जिंदगी में टीवी अभिनेता राजेश खट्टर आए। नीलिमा को एक साथी सहारे की जरूरत थी। उन्हें फिर प्यार हुआ। उन्होंने राजेश से शादी कर ली और छोटे बेटे ईशान खट्टर का जन्म हुआ लेकिन अफसोस ये शादी भी ज्यादा देर नहीं टिकी।
दूसरी शादी टूटने पर बोली नीलिमा अजीम
दूसरी शादी टूटने पर नीलिमा कहती हैं, 'मैंने हमेशा रिश्तों को प्राथमिकता दी। मैंने रिश्तों में बहुत इंवेस्ट किया, लेकिन मुझे कभी इस मामले में सपोर्ट नहीं मिला। ईमानदारी से बता रही हूं कि कभी किसी ने बच्चों की परवरिश और पढ़ाई के लिए पैसे नहीं भेजे। मैंने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले अपने बलबूते पर की है।' यह वो समय था जब वो बिलकुल टूट गई और अकेली हो गई। शाहिद का साथ भी उस समय नहीं था और इस दौरान नीलिमा ने उस्ताद रजा अली खान के साथ जिंदगी की नई शुरुआत करने का फैसला किया लेकिन उनका यह रिश्ता भी जल्द ही खत्म हो गया। ऐसे में सवाल उठना लाजमी था कि एक भी रिश्ता क्यों नहीं टिका?
इस पर उनका यही कहना था, 'कई कारण हो सकते है? सपने अलग हो सकते हैं? प्राथमिकताएं अलग हो सकती है? बहुत तकलीफ होती है जब रिश्ता टूटता है। मेरे लिए बहुत पेनफुल रहा है क्योंकि तीन बार मेरी शादी टूटी है, लेकिन मैं एक वॉरियर हूं। मैंने हर बार नई शुरुआत की है। बहरहाल, वो मेरी जिंदगी के रंग हैं और कलाकार को तो रंगीन होना ही चाहिए।'
बता दें कि बेटे शाहिद के साथ नीलिमा के कुछ मतभेद हो गए थे लेकिन बाद में वह अपनी मां के पास लौट आए। वह शाहिद के साथ कम नजर आती हैं और इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें हर जगह पर कूद-कूदकर जाना पसंद नहीं हैं। जहां शाहिद बुलाते हैं,वहां वह जरुर जाती हैं। बता दें कि पंकज कपूर ने भी साल 1988 में अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से शादी की थी। इस शादी से पंकज कपूर को दो बच्चे सनाह कपूर और रुहान कपूर हैं। जो भी है नीलिमा ने अपनी जिंदगी में एक लंबा संघर्ष किया लेकिन हार नहीं मानी। दुनिया चाहे कुछ भी कहे लेकिन उन्होंने अपने दोनों बेटों की परवरिश अकेले अपने दम पर की। शायद एक साथी का प्यार उनके नसीब में ही नहीं था।
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