साल 2019 में राजस्थान के अलवर में हुए गैंगरेप के मामले में 6 दोषियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसका फैसला आ चुका है। सभी आरोपियों में से 4 को उम्रकैद और एक दोषी को 5 साल का कठोर कारावास दी गई है। 6 आरोपी नाबालिग है इसलिए उसका केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। इस केस की सुनवाई एक साल से जुवेनाइल कोर्ट में चल रही थी, जिसका फैसला अब जाकर घोषित किया गया है।
बता दें कि 376 डी के तहत आरोपी हंसराज गुर्जर, अशोक गुर्जर, छोटेलाल गुर्जर और इंद्रराज गुर्जर को आजीवन कारावास मिला है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत घटना की वीडियो क्लिप बनाकर उसे वायरल करने वाले एक आरोपी को 5 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई हई है। अदालत ने आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत आर्थिक दंड की सजा भी सुनाई, जिससे मिलने वाली राशि पीड़िता को दी जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
26 अप्रैल, 2019 को अलवर जिले के थानागाजी इलाके में हुए गैंगरेप ने पूरी दुनिया को ही शर्मसार कर दिया था। यह एक ऐसी वारदात थी, जिससे पूरे प्रदेश में आक्रोश भड़क उठा था। बता दें कि दोषियों ने सड़क से एकत दंपत्ति को उठाया और सुनसान जगह पर ले गए। इसके बाद दरिंदों ने महिला के साथ गैंगरेप किया। यही नहीं उन्होंने बलात्कार का वीडियो भी बनाया।
वारदात से सहमे पति-पत्नी से किसी को कुछ भी नहीं बताया और फिर पति पत्नी को ससुराल में छोड़ जयपुर रवाना हो गया। पीड़िता के पति के 28 अप्रैल को गैंगरेप करने वाले एक का फोन आया और उसने 10 हजार रु की मांग की। पैसे नहीं देने पर उसने वीडियो वायरल करने की धमकी दी। तब 29 अप्रैल को जब पीड़िता के ससुर को पूरे मामले का पता चला तो उन्होंने बेटे को बुलाकर परिवाद तैयार करवाया।
इसके बाद 30 अप्रैल को परिवार सहित पीड़िता अलवर पुलिस अधीक्षक से मिलने पहुंची, जहां उन्हें 4:30 घंटे इंतजार करवाया गया। पुलिस ने पीड़िता को 1 और 2 मई को मेडिकल जांच के लिए बुलाया, जिसके बाद उन्हें FIR की कॉपी दी गई।
इसी बीच परिवार ने आरोपियों को गांव में देखा तो पुलिस को सूचना दी लेकिन भोज कार्यक्रम में व्यस्त पुलिसकर्मियों ने किसी को नहीं पकड़ा। इसके बाद 4 मई को आरोपियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने इसकी खबर ली। मगर, तब भी पुलिस ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया और कहा कि इसमें एक ओर धारा जोड़ दी जाएगी।
पुलिस ने बरती लापरवाही
थानाधिकारी ने FIR एसटी एक्ट बताते हुए कहा कि जांच अधिकारी जगमोहन के पास दिए जाने के निर्देश देहैं। साथ ही कहा कि 2-3 दिन तक कुछ नहीं होगा। चुनाव खत्म होने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। यह केस राजनीतिक मुद्दा बन गया, जिसके कारण राजस्थान सरकार की काफी आलोचना भी की गई। 7 मई को जब मीडिया द्वारा पीड़िता के साथ हुए घटना सामने आई तब अधिकारियों ने 16 दिन में अनुसंधान पेश किया। पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बनाई गई। आरोपियों को सजा दिलाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए। ऑफिसर्स केस डायरी स्कीम के तहत मई 2020 में केस का ट्रायल शुरू हुआ। वरिष्ठ अधिकारी ने केस की निगरानी करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें से 5 की पेशी हुई। 6 आरोपी नाबालिग है इसलिए उसका केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है।