जब भी कहीं दोस्ती का जिक्र होगा तो सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का नाम जरूर लिया जाएगा। पहली बार बिग बॉस में मिले इन दोनों ने ऐसी दोस्ती निभाई कि इनका रिश्ता एक मिसाल बन गया। हालांकि सिद्धार्थ के इस दुनिया से चले जाने के बाद इनकी दोस्ती भले ही हमेशा- हमेशा के लिए टूट गई लेकिन आज भी इन दोनों का बॉन्ड फ्रेंडशिप गोल देता है। तो चलिए पंजाब की कैटरीना यानी कि शहनाज के जन्मदिन पर हमजानते हैं उनकी दोस्ती से हमें क्या सीखना चाहिए।
सुख- दुख में साथ
हर सुख- दुख में साथ रहने वाला ही सच्चा दोस्त कहलाता है। यह हम सिद्धार्थ और शहनाज की दोस्ती में कई बार देख चुके थे। सिद्धार्थ अपनी दोस्त के बचाव के लिए हमेशा खड़े रहते थे। एक बार एक यूजर ने शहनाज गिल को लेकर कहा था कि वह -शहनाज, सिद्धार्थ के बारे में गलत बयानबाजी को प्रोत्साहित करती हैं." इस ट्वीट का जवाब देते हुए सिद्धार्थ ने लिखा कि "प्लीज, आपको उसे बेइज्जत करने की जरूरत नहीं है। यह उसकी गलती नहीं है। मेरी तरह वह खुद भी लोगों से यह सब बंद करने के लिए कह चुकी है। इस ट्वीट के जरिए सिद्धार्थ ने बता दिया था कि वह अपनी दोस्त के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
दोस्त के गुस्से पर काबू करना
दोनों ने एक दूसरे को गुस्से पर काबू करना सिखाया था। बिग बॉस के घर में जब शहनाज कई बार छोटी सी छोटी बात पर नाराज हो जाती थी। तब सिद्धार्थ उनसे कहते थे कि गुस्सा करने से किसी का भी भला नहीं हुआ है। उन्होंने अपनी दोस्त से कहा था-‘मैं तुम्हारे साथ हमेशा हूं। कभी जिंदगी में लगे कि तुम अकेला महसूस करोगी तो मुझे जरूर फोन करना...। वहीं शहनाज भी सिद्धार्थ को बाहों में लेकी उनके गुस्से को काबू कर लेती है। एक अच्छे दोस्त की निशानी यही होती है कि वह अपने दोस्त के गुस्से पर काबू करना जानता हो।
दोस्ती पर नहीं आने दें आंच
इन दोनों के बीच कई बार मनमुटाव भी देखने को मिला, लेकिन बावजूद इसके इन्होंने अपनी दोस्ती पर कोई आंच नहीं आने दी। वह हर अच्छे- बुरे वक्त में एक दूसरे के लिए खड़े दिखाई दिए । शहनाज अपने दोस्त को लेकर काफी पजेसिव भी रहती थी जो बिग बॉस के घर में कई बार देखा गया।सिद्धार्थ ने भी शहनाज से कहा था कि कभी डिप्रेशन के चंगुल में ना आना। हमेशा अच्छा काम करना।
दोस्त को प्रोत्साहित करें
यह बात तो हम सभी जानते हैं कि शहनाज़ की इंग्लिश कुछ खास अच्छी नहीं है। फिर भी वह इंग्लिश बोलने की कोशिश करती रही थी और इस दौरान सिद्धार्थ उनका पूरा साथ देते थे। यहां इन की दोस्ती से हमें यह सीखने को मिलता है कि आप अपने दोस्त का मजाक उड़ाने की बजाय उसे प्रोत्साहित करें ताकि वह अपनी जिंदगी में और ज्यादा अच्छा कर पाए।