दुनिया में दूसरे सबसे बड़े और पश्चिमी गोलार्द्ध में सबसे बड़े हिंदू मंदिर का अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में उद्घाटन हाे चुका है। न्यूयॉर्क सिटी से 99 किलोमीटर दक्षिण में न्यू जर्सी की रॉबिन्सविले सिटी में 185 एकड़ भूभाग में स्थित यह अक्षरधाम मंदिर 191 फुट ऊंचा है, ऐसे में इसकी खूबसूरती के चर्चे दुनिया भर में हो रहे हैं।
‘बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण' (बीएपीएस) के नेता महंत स्वामी महाराज की मौजूदगी में आठ अक्टूबर को इस मंदिर का उद्घाटन किया था। उद्घाटन समारोह में हजारों लोग शामिल हुए। महंत स्वामी महाराज ने कहा- ‘‘उत्तर अमेरिका में ऐसे अक्षरधाम मंदिर का निर्माण करना प्रमुख स्वामी महाराज की दिव्य इच्छा थी जहां सभी जाति, नस्ल या धर्म के लोग आ सकते हैं।'' उद्घाटन समारोह में डेलावेयर के गवर्नर जॉन कार्नी और कांग्रेस सदस्य स्टेनी होयर भी शामिल हुए थे ।
बताया जा रहा है कि इस मंदिर को बनाने का मूल उद्देश्य लोगों को मूल्यों के साथ प्रेरित करना है। भारतीय ग्रंथों के अनुसार एकांतिक धर्म के चार स्तंभ - धर्म, ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को भगवान स्वामीनारायण ने अच्छी तरह से स्पष्ट किया है। इसलिए यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को समर्पित एक स्मारक है। यह भगवान स्वामीनारायण के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक स्मारक है।''
मंदिर में लगाए गए पत्थरों पर रामायण और महाभारत की कहानी को उकेरा गया है। मंदिर के स्तंभों और दीवार पर 150 से अधिक भारतीय वाद्ययंत्र और सभी प्रमुख नृत्य कलाएं हैं। अबू धाबी में निर्माणाधीन अक्षरधाम मंदिर के प्रभारी ब्रह्मविहारीदास स्वामी ने कहा- ‘‘कला को संरक्षित करने का सबसे अच्छा तरीका उसका पुनर्जन्म है। बीएपीएस अपने तरीके से प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने में सक्षम है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में धर्म और मीडिया के एक शोधार्थी और अक्षरधाम मंदिर के स्वयंसेवी प्रवक्ता योगी त्रिवेदी ने बताया कि इस मंदिर के निर्माण में लगे पत्थरों को बुल्गारिया, इटली, यूनान, तुर्किये और भारत समेत सात देशों से मंगाया गया था।
अगर कोई अक्षरधाम मंदिर में आएगा तो उसे सामने ब्रह्मकुंड या बावड़ी दिखेगी जिसमें दुनियाभर की 400 अलग-अलग नदियों और झीलों का पानी है। इसमें भारत की गंगा और यमुना नदी का भी पानी है। इसमें समावेशिता की भावना है जो दर्शन तथा पूजा करने के लिए आने वाले हर व्यक्ति को महसूस होती है।''
उद्घाटन के दिन मंदिर के दर्शन करने वाले जैन आध्यात्मिक नेता आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि यह मंदिर भारत के संदेश को बाकी दुनिया तक लेकर जाता है। इस ग्रैंड टेंपल का निर्माण 2015 में शुरू हुआ, यानी की इसे बनाने में 12 साल से ज्यादा का समय लगा था। यह मंदिर रॉबिंसविले में 185 एकड़ में फैला हुआ है। उत्तरी अमेरिका के सभी कोनों से 12,500 स्वयंसेवक एक साथ आए और इस मंदिर का निर्माण किया, जो हजारों वर्षों तक बना रहेगा। इस मंदिर का डिजाइन भारत में ही तैयार किया गया था।