इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से 12वें महीने यानी जु-अल-हज्जा के दसवें दिन बकरीद का पर्व मनाया जाता है। रमजान के रोजे रखने के बाद पड़ने वाली ईद को जहां मीठी ईद कहा जाता है, वहीं जु-अल-हज्जा यानी की बकरीद को कुर्बानी वाली ईद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से इस साल बकरीद का पर्व 28 जून की शाम से शुरू होकर 29 जून 2023 को मनाया जाएगा। इस्लाम में इस त्योहार के लिए कई सारे नियम है जिसका पालन करने की जरूरत है। आइए आपको बताते हैं बकरीद में पालन करने वाले नियमों के बारे में....
बकरीद से जुड़ी मान्यता
इस्लामिक में हजरत इब्राहिम को ईश्वर के दूत माना जाता है। कहा जाता है कि इब्राहिम को बार-बार सपने अल्लाह के लिए बेटे की कुर्बानी के सपने आने लगे। जब उसने ये बात अपने बेटे को बताई तो वो खुशी-खुशी कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गया। मान्यता है कि अल्लाह तो बस अपने दूत इब्राहिम की परीक्षा ले रहे थे। ये भी कहा जाता है कि जब इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने चले तो शैतान ने उसका मन भटकाने की भी कोशिश भी , लेकिन वो जरा भी नहीं डगमगाए और आंखों में पट्टी बांधकर उन्होंने कुर्बानी की प्रक्रिया पूरी की। जब इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे थे तो अल्लाह ने उसे हटाकर उसकी जगह एक बकरा रख दिया था। जिसके बाद से इस्लाम धर्म में बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है।
बकरीद पर कुर्बानी के क्या है नियम
1. इस्लाम धर्म के हिसाब से जु-अल-हज्जा का चांद नजर आने के बाद जिस भी व्यक्ति को कुर्बानी देनी हो, उसे अपने शरीर के किसी भी हिस्से का बाल या नाखून कटवाना चाहिए। भारत में चांद देखने के बाद कुर्बानी देने वाले को पूरे 10 दिनों तक इस नियम को मानना होता है।
2. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार कुर्बानी देने से पहले व्यक्ति को स्नान कर, साफ- सुथरे कपड़े पहनकर नमाज अदा करना चाहिए।
3. जु-अल-हज्जा के पर्व पर बीमार या अपंग पशु , या जिस जानवर की सींग टूटी हो, उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है।
4. बकरीद के दिन कुर्बानी के से पहले फितरा निकाला जाता है, इसमेें एक किलो गेहूं या फिर इसके बराबर धनराशि गरीब को दी जाती है।
5. बकरे की कुर्बानी देने से पहले उसे पेट भरकर खिलाया-पिलाया जाता है।
6. कुर्बानी के बाद बकरे के तीन हिस्से करने होते हैं। एक हिस्सा सगे-संबंधियों के लिए और दूसरे को गरीबों को देने के बाद तीसरा हिस्सा अपने लिए रखना चाहिए।
नोट- यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं