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बैकुंठ चतुर्दशी: इस दिन शिवजी ने श्रीहरि को दिया था सुदर्शन चक्र, जानिए इस व्रत का महत्व

  • Edited By neetu,
  • Updated: 27 Nov, 2020 05:33 PM
बैकुंठ चतुर्दशी: इस दिन शिवजी ने श्रीहरि को दिया था सुदर्शन चक्र, जानिए इस व्रत का महत्व

हिंदूओं का पवित्र महीना कार्तिक मास चल रहा है। इस मास की शुक्क्ष पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस शुभ दिन पर पूरे विधि-विधान से श्रीहरि की पूजा करने न व्रत रखने से मृत्यु के बाद बैकुंठ में स्थान मिलता है। इस साल यह शुभ दिन 29 नवंबर 2020 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। तो चलिए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त...

बैकुंठ चतुर्दशी शुभ मुहूर्त 

बैकुंठ चतुर्दशी तिथि का आरंभ –  28 नवंबर 2020 रात 10:22

समाप्त – 29 नवंबर 2020 दोपहर 12:48 मिनट तक

बैकुंठ चतुर्दशी निशिथ काल –  29 नवंबर 2020 रात 11:39 मिनट से 12:32 मिनट तक

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बैकुंठ चतुर्दशी का महत्‍व 

माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि और शिवजी की पूरे विधि-विधान व सच्चे मन से पूजा करने वाले को मृत्यु के बाद उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को बैकुंठ यानि स्वर्ग में स्थान मिलता है। 

शिव जी की भी होती है पूजा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने इसी शुभ दिन पर श्रीहरि को सुदर्शन चक्र दिया था। ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ महादेव की एक ही रूप में पूजा करनी शुभ होती है। 

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हजार कमलों से पूजा करना होता है शुभ 

इस शुभ दिन पर भगवान की पूजा में 1000 कमल के फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन पूरी श्रद्धा से चढ़ाने व पूजा करने व्रत रखने वाला व्यक्ति और उसका परिवार बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। 

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इस दिन श्राद्ध और तर्पण करना होगा शुभ 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल के समय में श्रीकृष्ण ने युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं का श्राद्ध इसी दिन कराया था। ऐसे में वे सभी लोग अपने पापों से मुक्त होकर श्रीहरि के धाम पहुंचे थे। ऐसे में बैंकुंठ तिथि को श्राद्ध और तर्पण करना भी शुभ माना जाता है। 


 

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