निमोनिया वायरस या बैक्टीरिया से होने वाला एक संक्रमण है, जो फेफड़ों में होता है। इसके कारण सांस नली में तरल जमा हो जाता है। ऐसी स्थिति में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इसके अलावा बुखार, खांसी-जुकाम, ठंड लगना आदि फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
मगर हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार इसे आम फ्लू समझकर अनदेखा करने से ये गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए इस गंभीर संक्रमण के प्रति दुनियाभर को जागरूक करने के लिए हर साल World Pneumonia Day यानि विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। चलिए आज इस मौके पर हम आपको इस बीमारी से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं...
निमोनिया होने का कारण
एक्सपर्ट अनुसार निमोनिया की चपेट में आने का कारण बैक्टीरिया या वायरस माना जाता है। ये बैक्टीरिया नाक और मुंह के जरिए वायुमार्ग से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। अगर इम्यून सिस्टम मजबूत हो तो इसका असर शरीर पर नहीं पड़ता है। मगर इम्यूनिटी लो होने से ये बैक्टीरिया शरीर पर हावी हो जाते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार इसके कारण शरीर के बाकी अंगों के प्रभावित होने का भी खतरा रहता है। इसके कारण रोगी को अस्पताल एडमिट करवाना पड़ सकता है। ऐसे में इसके लक्षणों को अनदेखा करने से बचें।
निमोनिया के लक्षण
. तेज बुखार होना
. छाती में दर्द व सांस लेने में दिक्कत आना
. चक्कर और उल्टी आना
. ज्यादा थकान व कमजोरी महसूस होना
. डायरिया
. कफ के साथ खांसी आना
इन लोगों को ज्यादा खतरा
वैसे तो निमोनिया बच्चे से बड़ों तक किसी भी उम्र में हो सकता है। मगर इसकी चपेट में आने का खतरा 2 साल से कम और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को रहता है। इसके अलावा कमजोर इम्यूनिटी, सांस व दिल की बीमारी से पीड़ित, एड्स की परेशानी, किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ हो आदि लोगों को इसका खतरा अधिक रहता है।
डॉक्टर के पास जाने का सही समय
. सांस लेने में ज्यादा परेशानी होना
. सीने में दर्द
. लगातार खांसी, जुकाम, कफ और बलगम आना
. बलगम का रंग गाढ़ा पीला और हरा होना
ऐसे लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती स्थिति में दवाओं से आराम मिल सकता है। मगर समस्या बढ़ने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
ऐसे करें बचाव
. कुछ भी खाने-पीने पहले वह जरूरत पड़ने पर हाथों को साबुन और पानी से धोएं।
. खांसते और छींकते दौरान मुंह पर रुमाल जरूर रखें।
. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों व एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर चीजें खाएं।
. रोजाना योग, एक्सरसाइज ल प्राणायाम करें।
. बाहर का अनहेल्दी, जंक व ऑयली फूड खाने से बचें।
. स्मोकिंग से बचें।
. इनके अलावा निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए कुछ वैवैक्सीनभी उपलब्ध हैं। ऐसे आप इन्हें लगवाकर निमोनिया का खतरा कम कर सकते हैं।