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बालाजी के इस मंदिर में करियर और विदेश यात्रा की मन्नत माँगने आते हैं लोग

  • Edited By neetu,
  • Updated: 28 Aug, 2020 05:26 PM
बालाजी के इस मंदिर में करियर और विदेश यात्रा की मन्नत माँगने आते हैं लोग

आजकल बहुत से लोग भारत छोड़ विदेश में जाकर बसना चाहते हैं। वजह हर किसी की अपनी- अपनी पसंद हो सकती है। किसी को साफ सुथरा रहने लायक माहौल पसंद होता है तो किसी को अधिक पैसा कमाने की चाह विदेश ले जाती है। मगर कई बार देखा गया है कि चाहकर भी कुछ लोग विदेश जाने की अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाते। कहते हैं न भगवान आपकी किस्मत का लिखा हुआ भी बदल सकते हैं, ऐसा ही कुछ सुनने को मिलता है, हैदराबाद से 40 कि.मी.करीब स्थित बालाजी के इस मंदिर के बारे में। जी हां मान्यता है कि इस मंदिर में जाकर आपके मन की हर मुराद पूरी हो सकती है, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार के साथ...

500 साल पुराना है मंदिर 

हैदराबाद से करीब 40 कि.मी. की दूरी पर उस्मान सागर झील के किनारे पर यह मंदिर स्थापित है। इस मंदिर को चिल्कुर बालाजी नाम से जाना जाता है। मगर आज के समय में यह मंदिर नए राज्य तेलंगाना के अंदर आने लगा है। यह मंदिर आज से करीब 500 साल पुराने होने के नाते लोगों की इस मंदिर से गहरी आस्था जुड़ी है। माना जाता है कि यहां पर भक्त अपनी आर्थिक, शारीरिक, मानसिक परेशानियों से छुटकारा पाने के साथ वीजा न लगने की परेशानी से भी राहत पाते हैं। करियर व कारोबार में तरक्की के रास्ते खुलते हैँ। इसके साथ ही इस मंदिर की हस्तकला और कारीगरी देखने वाली है। ऐसे में यह मंदिर दिखने में बेहद ही खूबसूरत व आकर्षित है। 

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मंदिर से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर भगवान वेंकटेश बालाजी का एक सच्चा भक्त रहता था। वह रोजाना कोसों दूर चलकर वेंकटेश बाला जी के मंदिर माथा टेकने जाते थे। एक बार उनकी सेहत ठीक होने के कारण वे इतनी दूर चलने में असमर्थ थे। ऐसे में अपने भक्त को बीमार देखकर बाला जी ने उन्हें सपने में दर्शन देकर कहा कि, तुम इस हालत में मेरे दर्शन करने के लिए इतनी दूर की यात्रा नहीं कर सकते हो। ऐसे में तुम चिंता न करो। मैं तो तुम्हारे घर के पास वाले जंगल में निवास करता हूं। तुम वहीं आकर मेरे दर्शन व पूजा कर सकते हो। इसतरह अगला दिन चढ़ने पर वह भक्त भगवान जी के बताए हुए स्थान पर पहुंचा। वहां उन्होंने धरती को उभरा हुआ पाया। ऐसे में उन्होंने उस जगह की खुदाई करवाई तो उस स्थान से खून निकलने लगा। मान्यता है कि ठीक उसी समय वही आकाशवाणी हुई कि इस जगह को दूध से साफ कर यहां भगवान जी की एक प्रतिमा स्थापित करें। माना जाता है कि दूध से अभिषेक करने के दौरान उसी धरती से श्रीदेवी और भूदेवी की प्रतिमाएं प्रकट हुई। ऐसे में उसी जगह पर तीनों मूर्तियां स्थापित कर मंदिर बनवाया गया।

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लोग मांगते हैं वीजा और नौकरी लगने की मन्नत

माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले लोगों को नौकरी से जुड़ी परेशानियां दूर होने के साथ वीजा लगने में बांधा नन्हीं आती है। पुराने जमाने से ही लोग यहां नौकरी के लिए मन्नत मांगने आते हैं। कहते है कि सबसे पहले बालाजी मंदिर की 11 परिक्रमा लेकर सच्चे मन से अपनी इच्छा मांगी जाती है। साथ ही मनोकामना पूरी होने पर यहां भक्तों द्वारा 108 बार परिक्रमा की जाती है। ऐसे में वीजा लगने में आने वाली सभी रूकावटें दूर हो जाती है। 

हवाई जहाज चढ़ाकर मांगी जाती है मन्नत

यहां लोग भगवान के आगे नकली हवाई जहाज चढ़ाकर अपनी मन्नत मांगते है। मान्यता है कि यहां हवाई जहाज चढ़ाने से वीजा लगने में आसानी होती है। ऐसे में इस मंदिर को वीजा टेंपल के नाम से भी जाना जाता है।

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नहीं चढ़ता है चढ़ावा

इस मंदिर की विशेषता है कि यहां भक्तों द्वारा चढ़ावा नहीं चढ़ता है। साथ ही इस मंदिर में कोई दान पेटी भी नहीं है। यह मंदिर खासतौर पर छात्रों द्वारा प्रिय है। असल में विदेश जाकर पढ़ाई करने और करियर में तरक्की मिलने की इच्छा पूरी होती है। इसतरह इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी है। यहां दूर-दूर दूर से भक्तजन भगवान बालाजी के दर्शन करने आते हैं। लोगों का कहना है कि यहां बालाजी के दर्शन कर उनका विदेश जाने का सपना पूरा होता है।

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