नवजात शिशु के लिए मां का दूध की संपूर्ण आहार होता है। इससे उसका शारीरिक व मानसिक विकास होने में मदद मिलती है। ऐसे में बच्चे को सही मात्रा में दूध मिलना बेहद जरूरी है। मगर अक्सर कई स्तनपान करवाने वाली मां कई गलतियां कर बैठती है जिसके कारण उनके स्तनों में दूध की कमी होने लगती है। इसके कारण बच्चे को पूरा पोषण न मिल पाने से उसके विकास में बांधा आ सकती है। साथ ही वह बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है। तो आइए आज हम आपको कुछ खास बातें बताते हैं, जिसे स्तनपान करवाने वाली को करने से बचना चाहिए...
गर्भनिरोधक गोलियां
वैसे तो ब्रेस्टफीलिंग के दौरान गर्भधारण का खतरा कम होती है। मगर फिर भी कई महिलाएं इससे बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती है। साथ ही कई गर्भनिरोधक गोलियां एस्ट्रोजन ओन्ली पिल्स (estrogen only pills) होती हैं। ऐसे में ऐसी कई दवाइयां दूध में कमी लाने का काम करती है। इसलिए गर्भनिरोधक के लिए दवाइ की जगह पर अन्य तरीकों को अपनाना बेहतर रहेगा।
मोटापा
जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है उन्हें भी दूध के उत्पादक में कमी हो सकती है। इसके कारण शिशु को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसे में महिलाओं को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए।
दवाइयां का सेवन
गर्भावस्था के दौरान व प्रसव के बाद भी महिलाओं की इम्यूनिटी कम रहती है। ऐसे में महिलाओं का सर्दी, खांसी की चपेट में आना आम है। मगर इसके कारण कैमिस्ट से दवाई लेकर खाने से मां के दूध में कमी आ सकती है। ऐसे में इस परिस्थिति में डॉक्टर से पूछ कर ही दवाई खानी चाहिए।
बच्चे को कम दूध पिलाना
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मां जितना दूध शिशु को पिलाती है उतना उतना अधिक दूध का उत्पादन होने लगता है। मगर कई महिलाएं दिनभर मे 1-2 बार ही शिशु के दूध पिलाती है। ऐसे में स्तन के दूध में कमी आने लगती है। असल में जब तक बच्चे के दूध पीने से स्तन खाली नहीं होता तब तक इसे दोबारा भरने में मुश्किल आती है। वहीं अधिक वक्त तक ऐसा करने से दूध ग्रंथि से दूध का उत्पादन कम होने की शिकायत हो सकती है। इसलिए स्तन के दूध के उचित उत्पादन के लिए 1 दिन में करीब 10 से 12 बार शिशु को दूध पिलाना चाहिए।
पाकिफिएर का उपयोग
कई महिलाएं बच्चे को चुप करवाने के लिए पाकिफिएर यानी चूसनी यूज करती है। यह एक प्रकार की निपप्ल होती है जिसमें शहद भरा होता है। ऐसे में बच्चा इसे मुंह में डालता है तो उसे मां का दूध पीने जैसा अनुभव होता है। ऐसे में इसके कारण भी ब्रेस्ट मिल्क में कमी हो सकती है। असल में शिशु पाकिफिएर और माता के स्तन में कंफ्यूज हो जाता है। ऐसे में वह कई बार मां द्वारा दूध पिलाने पर भी पीता नहीं है। इसके कारण दूध के उत्पादान में कमी आने लगती है।
बच्चे को रात में अधिक दूध पिलाना
कई महिलाएं रात के समय में शिशु को बार-बार दूध पिलाती है। ताकि बच्चा अच्छे से सो पाएं। मगर इसतरह कई बार दूध पिलाने से स्तनों में इसका उत्पादन कम हो जाता है।
तनाव
प्रसव के समय महिलाओं को काफी दर्द सहना पड़ता है। ऐसे में कई महिलाएं तनाव में आ सकती है इसकी वजह से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन है जो खासतौर पर नई माओं के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है। इसके कारण स्तनों में दूध कमी हो सकती है। इसलिए बच्चे को उचित पोषण देने के लिए तनाव से बचने की कोशिश करें
बीमारियों के कारण
कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज, थायराइड, हाई बीपी आदि की परेशानी हो जाती है। ऐसे में इन्हें इस का इलाज डॉक्टरी सहायता से ही करना चाहिए। इससे बचने के लिए खुद से कुछ भी खाने की गलती नहीं करनी चाहिए। नहीं डिलीवरी के बाद स्तनों से दूध कम आने की शिकायत हो सकती है।
जड़ी- बूटियों का अधिक सेवन
कई महिलाएं पुदीना, धनिया आदि चीजों का सेवन करती है। यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होती है। भले ही ये सेहत के लिए फायदेमंद हो मगर इससे दूध के उत्पादन में कमी आने लगती है। ऐसे में स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के इसका सेवन डॉक्टरी सलाह से ही करना चाहिए।
अल्कोहल व धूम्रपान का सेवन
इस दौरान अल्कोहल व धूम्रपान का सेवन करने से ब्रेसेट मिल्क में कमी आने लगती है। ऐसे में महिलाओं को इस समय इन मादक पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। वही डेली डाइट में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी दूध कम बनता है।