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'हारे का सहारा'  खाटू श्याम जी की कहानी:  कटे हुऐ सिर से देखा था महाभारत युद्ध, श्रीकृष्ण ने दिया था वरदान

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Nov, 2024 07:43 PM
'हारे का सहारा'  खाटू श्याम जी की कहानी:  कटे हुऐ सिर से देखा था महाभारत युद्ध, श्रीकृष्ण ने दिया था वरदान

नारी डेस्क: खाटू श्याम जी जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने विशेष वरदान दिया था, महाभारत के योद्धा बर्बरीक के रूप में जाने जाते हैं। बर्बरीक को उनकी वीरता, भक्ति और त्याग के लिए याद किया जाता है। उनकी कहानी महाभारत और भारतीय पौराणिक कथाओं में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आइए, उनकी पूरी कहानी और खाटू श्याम जी बनने की कथा को विस्तार से समझते हैं।  

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बर्बरीक कौन थे?

बर्बरीक महाभारत के योद्धा घटोत्कच और नाग कन्या मौरवी के पुत्र थे। वे पांडव भीम के पोते थे। बर्बरीक को बाल्यकाल से ही युद्ध कला में निपुणता प्राप्त थी।  उनके पास तीन अद्भुत बाण (तीर) थे, जिन्हें त्रिपुरा रक्षक बाण कहा जाता था।  कहा जाता है कि इन तीन बाणों से वे पूरे युद्ध को समाप्त करने की क्षमता रखते थे।  


महाभारत युद्ध में बर्बरीक का वादा

बर्बरीक ने प्रतिज्ञा की थी कि वह हमेशा कमजोर पक्ष का समर्थन करेंगे। महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले वे युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार थे। जब बर्बरीक युद्ध में भाग लेने आए, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उनका रास्ता रोका।  श्रीकृष्ण ने उनकी प्रतिज्ञा के बारे में पूछा।  बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे कमजोर पक्ष का साथ देंगे।  श्रीकृष्ण समझ गए कि बर्बरीक की शक्ति से युद्ध असंतुलित हो जाएगा। यदि बर्बरीक कमजोर पक्ष का समर्थन करेंगे, तो पांडव हार सकते हैं, और यदि कौरव कमजोर हो गए, तो बर्बरीक उनका पक्ष लेंगे।  

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बर्बरीक का बलिदान

श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि एक सच्चे योद्धा को पहले अपने गुरु को बलिदान देना चाहिए।   बर्बरीक ने सहमति जताई और अपना सिर श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि उनका सिर युद्ध देख सकेगा। बर्बरीक का सिर एक ऊंची जगह पर रख दिया गया, जहां से उन्होंने महाभारत का पूरा युद्ध देखा।  


खाटू श्याम जी बनने की कथा


युद्ध के बाद, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि कलियुग में वे श्याम के नाम से पूजे जाएंगे।  जो भी सच्चे मन से उनकी भक्ति करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। बर्बरीक के सिर को राजस्थान के खाटू गांव में स्थापित किया गया। यही सिर आज खाटू श्याम जी के रूप में पूजित है।  

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खाटू श्याम जी की महिमा और भक्ति


 खाटू श्याम जी को "हारे का सहारा"  कहा जाता है। वे भक्तों के सभी दुखों को हरते हैं।  हर साल लाखों भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए राजस्थान आते हैं। श्याम बाबा की फाल्गुन मेले में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।  बर्बरीक का त्याग और बलिदान उन्हें महाभारत के सबसे अद्भुत पात्रों में से एक बनाता है। उनके बलिदान की वजह से ही वे खाटू श्याम जी के रूप में अमर हो गए। उनकी कथा हमें सिखाती है कि सच्चे मन और त्याग से भगवान का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।  

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