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Krishna Janmashtami: इस जन्माष्टमी रख रही है व्रत तो जान लें पूजा विधि

  • Edited By neetu,
  • Updated: 24 Aug, 2021 11:59 AM
Krishna Janmashtami: इस जन्माष्टमी रख रही है व्रत तो जान लें पूजा विधि

श्रीकृष्ण के भक्तों को जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार रहता है। मान्यता है कि इस पावन दिन पर श्रीहरि के आठवें अवतार श्रीकृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था। इस साल जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा। माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म ठीक रात 12 बजे हुआ था। ऐसे में कृष्ण भक्त रात 12 बजे ही कृष्णा जी के जन्म का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने व श्रीकृष्ण की पूजा करने कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। निसंतान को संतान सुख मिलता है। साथ ही भक्तों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा विधि...

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चलिए जानते हैं पूजा विधि

. सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. फिर मंदिर की साफ-सफाई करके भगवान के सामने खड़े होकर व्रत का संकल्प लें।
. दिनभर निर्जला या फलाहारी व्रत रखें।
. कान्हा का भोग बनाएं।
. शाम के समय भगवान श्रीकृष्ण का भजन-कीर्तन करें।
. मान्यता है कि श्रीकृष्ण का जन्म ठीक रात 12 बजे हुआ था।
. इसलिए रात 12 बजे नार वाले खीरे में लड्डू गोपाल को बैठाकर कन्हैया का जन्म कराएं।
. नार वाले खीरे का तात्पर्य माता देवकी के गर्भ से माना जाता है।
. अब लड्डू गोपाल को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं।
. उसके बाद सुंदर कपड़े पहनाएं। उनके श्रृंगार माला, मुकुट, बांसुरी, सुंदर वस्त्र से करें।
. श्रीकृष्ण को झूले में बिठाकर झूला लें।
. फिर उनके सामने दीपक, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि जलाएं।
. कान्हा को पीला चंदन, चावल का तिलक लगाकर फूल चढ़ाएं।
. उसके बाद मेवा, पिसा हुए धनिया की पंजीरी, खीर, मिठाई, पंचामृत का भोग लगाएं।
. भगवान श्रीकृष्ण का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए इसमें तुलसी के कुछ पत्ते जरूर डालें। साथ ही शुभ तिथियों पर तुलसी तोड़ना अशुभ माना जाता है। इसलिए इसे जन्माष्टमी के 1 दिन पहले ही तोड़ लें।
. कृष्ण मंत्र का जाप करके आरती करें।
. फिर सभी को प्रसाद बांटकर खुद भी इसका सेवन करके अपना व्रत खोलें।

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पूजा दौरान इन मंत्रों का करें जाप

. कृं कृष्णाय नमः

. ॐ गोवल्लभाय स्वाहा

. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे, सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि

. ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय नम:

. हे कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन, आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन

. ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा

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ऐसे खोले व्रत

अक्सर लोग व्रत तो सही से रख लेते हैं। मगर उसे खोलने दौरान गलती कर बैठते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि व्रत धनिया का प्रसाद से ही खोले। भगवान श्रीकृष्ण को धनिया का प्रसाद मक्खन की तरह प्रिय है। ऐसे में व्रती को इसके सेवन से ही अपने व्रत खोलना चाहिए।

 

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