कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है क्योंकि यह डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले दोगुणा तेजी से फैलता है। शोधकर्ता अभी भी इस नए वैरिएंट पर शोद कर रहे हैं। परेशानी की बात तो यह है कि कोरोना का यह नया वायरल दोनों वैक्सीन ले चुके लोगों को भी प्रभावित कर रही है इसलिए वैज्ञानिकों की चिंता भी काफी बढ़ गई है। वहीं, अब सवाल उठ रहा है कि ओमिक्रॉन इम्यूनिटी को किस तरह से प्रभावित करता है।
क्या Immunity को मजबूत कर रहा Omicron?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ओमिक्रॉन ज्यादा खतरनाक नहीं है। यही नहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि Omicron या कोरोना का कोई भी दूसरा वैरियंट इम्युनिटी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। हालांकि इसके बाद भी यह लोगों को संक्रमित कर सकता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर पॉल हंटर का कहना है कि कोविड-19 के संपर्क में आए मरीजों के शरीर में एंटी-N एंटीबॉडीज बनती है। यही वजह है कि ठीक होने के बाद उनके शरीर पर कोई खास असर नहीं होता। रिसर्च के मुताबिक, 88% मामलों में बनीं एंटीबॉडीज करीब 6 महीने तक रहती है और संक्रमण से बचाव करती है।
6 महीने तक रहती है एंटीबॉडीज
शोध के बाद , कोरोना से ठीक हुए मरीजों में बनी एंटीबॉडीज कम से कम 6 महीने तक रहती है। इसके बाद इसकी सुरक्षा दर काफी कम हो जाती है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है इसलिए वैज्ञानिक भी चिंता में है। यही वजह है कि लोगों को बूस्ट डोज देने की जा रही है। हालांकि फ्रंट लाइन वर्कर्स व बुजुर्गों को बूस्ट डोज देने की शुरूआत की जा चुकी है।
क्या डेल्टा से बचाएगी ओमिक्रॉन की इम्यूनिटी?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए हालिया शोध के मुताबिक, ओमीक्रोन से ठीक होने वाले लोगों में जो इम्यूनिटी बन रही है वो सिर्फ डेल्टा ही नहीं बल्कि कोरोना समेत अन्य वेरिएंट्स से भी बचाव कर सकती है।