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ऐसी टीचर पूरे देश को चाहिए, प्रधानमंत्री मोदी भी नहीं रह पाए तारीफ किए बिना

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 05 Sep, 2020 05:38 PM
ऐसी टीचर पूरे देश को चाहिए, प्रधानमंत्री मोदी भी नहीं रह पाए तारीफ किए बिना

आज शिक्षक दिवस है यानि गुरु का दिन। वो गुरु जो अपने शिष्य को सही मार्ग दर्शन देकर उसके भविष्य को रोशनी की ओर ले जाता है। बस उसी पथ पर चल रही है  शिक्षिका ममता मिश्रा जो एक सरकारी स्कूल टीचर है । ममता मिश्रा के पढ़ाने का तरीके से तो हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इतने प्रभावित हुए हैं कि उन्होंने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उनकी खूब तारीफ की। बाद में उन्हें एक पत्र लिखकर उनकी हौंसला अफजाई भी की।

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चलिए आपको शिक्षिका ममता मिश्रा के बारे में  थोड़ा विस्तार से बताते हैं...

ममता, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के ही विकासखंड चाका स्थित एक अंग्रेजी माध्यम सरकारी विद्यालय में पढ़ाती हैं। यहां के सरकारी स्कूल के बच्चों को क्षेत्र के निजी स्कूल के बच्चों के बराबर ही आंका जाता है  क्योंकि ममता के पढ़ाया हर बच्चा पढ़ाई में अव्वल है।

मां को ही माना अपनी रोल मॉडल, शिक्षिका बनने का सपना बचपन से ही ठाना

शिक्षा केंद्रीय विद्यालय व  तत्पश्चात छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से स्नातक, बी.एड. व परास्नातक उत्तीर्ण करने वाली ममता पूरी लग्न से बच्चों को पढ़ाती हैं जिसका श्रेय वह अपनी मां को देती हैं क्योंकि ममता की मां भी एक शिक्षिका हैं और उन्होंने बचपन से ही अपनी मां को बड़े परिश्रम, निष्ठा व ईमानदारी से अध्यापन करते हुए देखा है। बचपन में ही अपनी मां को अपना रोल मॉडल मानते हुए उन्होंने शिक्षिका बनने का निश्चय कर लिया था।”

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हालांकि इस बीच ममता को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। वह कहती हैं, , “मेरी सबसे बड़ी चुनौती ऐसे बच्चों को पढ़ाना था जो न सिर्फ खुद बल्कि जिनके परिजन भी प्राथमिक शिक्षा को गंभीरता से नही ले रहे थे।”

ममता ने ऐसे बच्चों व उनके माता-पिता से बात की तो पता चला कि अधिकतर परिषदीय छात्र-छात्राएं निम्न आर्थिक तबके से आते हैं, उनके कंधों पर घर खेत व  पशु चारण , दुकान या फेरी आदि लगाने की जिम्मेदारियां थी, लड़कियों को भी अक्सर अपने घर व खेत के कामों में हाथ बंटाने तथा छोटे भाई-बहनों की देखभाल हेतु घर में रुकना पड़ता था । ऐसे में  ममता ने उनके परिजनों को शिक्षा का महत्व समझाना शुरु किया और इस ओर  जागरुक किया।

वह खुद बच्चों को पढ़ाई के लिए घर से लेने जाने लगी। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने स्पोर्ट्स व एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटिज़ की भी शुरुआत की। जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन करते थे उन्हें व परिजनों खास मांओं को विद्यालय स्तर पर सम्मानित किया।

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इनोवेटिव एजुकेशन पर दिया जोर

ममता मिश्रा ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की इनोवेटिव एजुकेशन पर जोर दिया। उन्होंने स्मार्ट क्लासेज शुरू की। स्कूल के बच्चों को स्मार्ट और डिजिटल क्लासेज के जरिये पढ़ाने के लिये डेस्क व बेंच, मोबाइल, टेबलेट, प्रोजेक्टर आदि उपकरण अपनी सैलरी और पर्सनल सेविंग से खरीदे।
क्लास के अलावा वह उन्हें मोबाइल में ‘दीक्षा ऐप’ के जरिए पढ़ने के तरीके भी सिखाने लगी हैं।

वह यू-ट्यूब चैनल के जरिए ऑनलाइन क्लासेज भी ले रही हैं जिसमें सिर्फ उनके स्कूल के ही नहीं बल्कि दूसरे स्कूल के बच्चों के बारे में भी सोचा। ऑनलाइन क्लासेज के लिये यूट्यूब चैनल ममता ने अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ दूसरे स्कूल के बच्चों के बारे में भी सोचा।

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फ्यूचर प्लान की बात करते हुए उनका यही कहना है कि सीखने-सिखाने की इस प्रक्रिया में अपनी योग्यताओं और क्षमताओं का और अधिक विकास करते हुए वह इस दुनिया से अशिक्षा का अंधकार मिटाने का प्रयास करती रहेगी और अपने पथ पर आगे बढ़ती जाएगी।

अगर देश में टीचर ऐसी लग्न दिखाकर बच्चों को पढ़ाए तो यकीनन अशिक्षा का अंधकार मिट जाएगा और सरकारी स्कूल की छवि भी बदल जाएगी।

 

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