इन्फोसिस फाऊंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 में कर्नाटक के शिवगांव में हुआ था। वह इन्फोसिस की अध्यक्षा के साथ लेखिका और समाजसेविका भी हैं। साल 2006 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
घर वाले नहीं चाहते थे कि वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें
एक टीवी शो में सुधा ने बताया था कि उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए काफी यत्न करने पड़े। उनके घर वाले नहीं चाहते थे कि वह लड़कों के कॉलेज में जाकर इंजीनियरिंग करें लेकिन उनकी जिद के आगे घर वालों को झुकना पड़ा।
प्रिंसिपल ने रखी थीं तीन शर्तें
सुधा मूर्ति बताती हैं कि कॉलेज में दाखिला लेने के बाद भी उनकी मुसीबत कम नहीं हुई। एडमिशन के लिए बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल ने उनके सामने तीन शर्तें रखीं थीं। पहली शर्त थी कि वे ग्रैजुएशन खत्म होने के बाद भी साड़ी में ही कॉलेज आएंगी। वहीं दूसरी शर्त थी कि वह कॉलेज कैंटीन नहीं जाएंगी और तीसरी शर्त थी कि वे लड़कों से बात नहीं करेंगी। सुधा ने बताया कि पहली दो शर्तें तो उन्होंने पूरी कर दीं लेकिन तीसरी शर्त कॉलेज के लड़कों ने पूरी नहीं होने दी। जब उन्होंने कॉलेज में टॉप किया तो लड़के खुद ही उनसे बात करने आने लगे।
599 लड़कों के बीच में वे अकेली लड़की थीं
सुधा के अनुसार- उनके कॉलेज में 600 छात्र पढ़ते थे, जिनमें 599 लड़के थे और वे एक अकेली लड़की थीं। लड़कों का कॉलेज होने की वजह से वहां टॉयलेट की भी सुविधा नहीं थी लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।
सुधा के 10,000 रुपए से शुरू हुई इन्फोसिस
सुधा मूर्ति इन्फोसिस के फाऊंडर नारायणमूर्ति की पत्नी हैं। नारायणमूर्ति की वजह से इन्फोसिस को दुनिया भर में जाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सुधा टाटा इंडस्ट्रीज में काम करती थीं। इसी दौरान उन्होंने 10,000 रुपए जोड़े और नारायणमूर्ति को दिए, जिसके बाद इन्फोसिस की शुरुआत हुई।