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लोगों के तानों ने दी हिम्मत,जानिए लक्ष्मी की तरह एक और एसिड पीड़िता की कहानी

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 11 Jan, 2020 04:34 PM
लोगों के तानों ने दी हिम्मत,जानिए लक्ष्मी की तरह एक और एसिड पीड़िता की कहानी

जिदंगी में ऐसी कई घटनाएं होती है तो की जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करती है। इन्हीं घटनाओं में से एक है एसिड अटैक की घटना। यह न केवल एक लड़की के शरीर पर घाव छोड़ देती है बल्कि उसके पूरे जीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर देती है। दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक में भी एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के दर्द को बयान किया गया है। वहीं आज हम आपको पंजाब के रुपनगर के मंडोली गांव की इंद्रजीत रुबी से जुड़ी ऐसी ही घटना के बारे में बताएंगे जिसे उसकी जिदंगी को बदल कर रख दिया। 

 

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8 दिसंबर 2011 को हुई थी घटना

इंद्रजीत रूबी एक स्कूल में बतौर टीचर काम करती थी। स्कूल के बाद वह घर आकर बच्चों को पढ़ाती थी। उसकी जिदंगी बड़ी हंसी-खुशी निकल रही थी लेकिन एक जीवन में हुई इस घटना ने उसके पूरे जीवन को बदल दिया। यह घटना 8 दिसंबर 2011 की है। शाम के समय किसी ने इंद्रजीत का दरवाजा खटाया लेकिन आवाज नहीं दी। तभी इंद्रजीत ने दरवाजा खोला तो एक लड़का जग पकड़ कर खड़ा था और उसने सारा लिक्विड उसके चेहरे पर डाल दिया। जिसके बाद इंद्रजीत की सारी बॉडी डलने लगी। इस घटना के बाद वह लड़के तो वहां से भाग गए लेकिन इंद्रजीत की जिदंगी पूरी तरह से बदल गई। 

 

हर कोई देख कर जाता था डर 

इंद्रजीत ने बताया कि जब उसके पर लिक्विड डाला गया था तो वह एक दम से डर गई थी। उसका पूरा शरीर जल रहा था और वह चीख रही थी। इसके बाद उसकी मां उसे बाइक पर बिठा कर प्राइवेट अस्पताल में लेकर गई। वहां से उसे पीजीआई चंडीगढ़ भेज दिया गया। जहां पर उसका 4 महीने तक इलाज चला। इस दौरान उसकी शक्ल इतनी खराब हो चुकी थी कि कोई भी देखता तो डर जाता था। ऐसे में उसकी मां ने कभी भी उसका साथ नहीं छोड़ा वह डॉक्टर के साथ मिलकर उसकी ड्रेसिंग करती थी। इस दौरान उसकी बहुत सारी सर्जियां हुई लेकिन उसकी पहली सर्जरी नाकाम रही। सर्जरी के दौरान स्किन पूरी तरह से उसके चेहरे पर टिक नहीं पा रही थी ऐसे दवाईयों की मदद से उसकी स्किन को रगड़ कर साफ किया गया इसके बाद उसकी दोबारा सर्जरी की गई।

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फोन पर मिलती थी धमकियां 

एसिड अटैक के बाद बाद जब इंद्रजीत कौर ने कोर्ट में केस किया तो लड़के की ओर से केस वापिस लेने और समझौता करने की धमकियां देने लगा। लड़के की बहन ने फोन करके कहा कि लड़के ने अभी तो एसिड डाला है फिर पता नहीं क्या करेगा। इन सब धमकियों के बाद भी इंद्रजीत डरी नहीं और केस में जीत हासिल की। लड़के को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई लेकिन इंद्रजीत इससे खुश नहीं थी क्योंकि वह चाहती थी कि लड़के को उम्रकैद की सजा हो। 

 

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डिप्रेशन में आने के बाद दोबारा शुरु की जिंदगी 

इस घटना के बाद इंद्रजीत पूरी तरह से डिप्रेशन में आ गई लेकिन तब उसने अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा। तब इंद्रजीत देहरादून गई और ब्रेल लिपि सीखी। उस दौरान वहां पर अन्य ब्लाइंट बच्चों के साथ रहते हुए इंद्रजीत अपने डिप्रेशन से भी पूरी तरह से बाहर आ गई। उसके बाद बाकी लोगो को देखकर बैंक के एग्जाम देने के बारे में सोचा। 40 से 50 बार एग्जाम देने के बाद वह केनरा बैंक में क्लर्क के तौर पर सिलेक्ट हुई।इसके साथ ही कुछ समय के लिए उसने रेडियो में भी काम किया।

 

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