पीसीओडी (PCOD) यानि पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर एक ऐसी समस्या है, जिससे आज हर तीसरी महिला परेशान है। हार्मोन्स असंतुलन के कारण होने वाली यह समस्या ना सिर्फ पीरियड्स पर असर डालती है बल्कि इससे बांझपन का खतरा भी रहता है।
फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करती है PCOD?
पीसीओडी अंडाशय रोग है, जिसमें अंडाशय बड़े हो जाते है और ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं। इसमें पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन एंड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे ओवुलेशन में समस्याएं होने लगती है। इसके कारण अंडों के विकास और अंडाशय से अंडे बाहर आने में दिक्कत आती है, जिससे फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
पीरियड्स पर भी पड़ता है असर
सिर्फ फर्टीलिटी ही नहीं बल्कि पीसीओडी का असर पीरियड्स पर भी पड़ता है। इसके कारण पीरियड्स समय पर नहीं आते और पीरियड्स में तेज दर्द, ब्लीडिंग भी कम होती है।
खराब लाइफस्टाइल है कारण
आजकल महिलाएं न वक्त पर खाती हैं, ना सोती हैं। अपनी सेहत का ख्याल ना रखने के कारण से उनमें पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है। दुनियाभर में लाखों महिलाएं पीसीओडी से जूझ रही है। 35 से 50 साल की उम्र में महिलाओं को यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
पीसीओडी के लक्षण
. अनचाही जगहों में बालों का बढ़ना
. मुंहासे या तैलीय त्वचा
. बालों का झड़ना
. अचानक वजन बढ़ना
. सोने में परेशानी
. गर्भवती होने में परेशानी
. पीरियड्स की समस्याएं
बांझपन का इलाज
आजकल आईवीएफ (In vitro fertilization), IUI (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन) और सरोगेसी जैसी कई मेडिकल तकनीक इजाद हो गई है, जिससे बांझपन का इलाज करवाया जा सकता है। आप 3डी अल्ट्रासोनोग्राफी और एमआरआई जैसी तकनीक के जरिए इसकी जांच करवा सकती हैं।
संतुलित आहार का सेवन
पीसीओडी की दवा पर लेने के साथ संतुलित और हैल्दी डाइट भी लेना बहुत जरूरी है। विटामिन बी युक्त आहार, ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर डाइट लें। साथ ही जंक फूड्स, शुगरी व फैट युक्त चीजों का सेवन कम करें। दिनभर में कम से कम 8-9 गिलास पानी पीएं।
योग से कंट्रोल होगी बीमारी
रोजाना कम से कम 30 मिनट योग या एक्सरसाइज से भी PCOD को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए आप पवनमुक्त आसन, कपालभाती, हलासन, धनुरासन, सूर्यनमस्कार और भुजंगासन योग कर सकते हैं।
वजन को करे कंट्रोल
महिला का बीएमआई 30 से अधिक नहीं होना चाहिए। एक्सपर्ट के मुताबिक, इससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। साथ ही इससे गर्भधारण के कारण गर्भपात एवं प्रीमेच्योर बर्थ की संभावना भी रहती है। पीसीओडी को कंट्रोल और गर्भधारण करने के लिए वजन को कंट्रोल में रखें।