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सैफ के दादा-परदादा कैसे और कब से बने नवाब, जानिए पटौदियों का इतिहास

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 16 Aug, 2022 05:57 PM
सैफ के दादा-परदादा कैसे और कब से बने नवाब, जानिए पटौदियों का इतिहास

करीना के नवाब सैफ अली खान आज 52 साल के हो गए हैं और बेबो ने शौहर की दो अनसिन फोटोज शेयर कर उन्हें बर्थ-डे विश किया है। नवाबों वाला ठाठ-बाठ रखने वाले सैफ, अपनी लुक के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। इंडस्ट्री भी उन्हें पटौदी नवाब ही कहती आई है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें नवाब का टैग कब और कैसे मिला? चलिए इस पैकेज में आपको बताते हैं कि पटौदी खानदान को नवाब कब और कैसे कहा जाने लगा।

पटौदी सियासत के 10वें नवाब हैं सैफ अली खान

अगर आप नहीं जानते तो बता दें कि सैफ अली खान, पटौदी सियासत के 10वें नवाब हैं और उनके पिता मंसूर अली खान 9वें नवाब थे। पटौदी इतिहास के मुताबिक, पटौदी खानदान का दबदबा अंग्रेजों के जमाने से ही नहीं बल्कि मुगल काल से रहा है। सैफ के पूर्वज अफगानिस्तान से थे और वह 532 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आए थे और भड़ैंच कबीले से ताल्लुक रखने वाला उनका परिवार  क्वेटा के उत्तर पश्चिम में रहता था। इस परिवार का पहले शासक सरदार शम्स खान को बताया जाता है जिनका जन्म सन 1190 और मृत्यु सन  1280 में हुई थी! सन 1408 में सैफ अली खान के पुरखे सलामत खान भड़ैंच , दिल्ली के अफगानी सुल्तान  बहलूल खान लोदी के समय अफगानिस्तान से भारत आए थे।  उन्हें दिल्ली के आसपास मेवाती लोगों को काबू करने के लिए बुलाया गया था।  बता दें लोदी वंश से ताल्लुक रखने वाले और दिल्ली का प्रथम अफ़गान शासक परिवार लोदियों का ही था। सलामत खान ने गुड़गांव, रोहतक, करनाल और हिसार में अपना दबदबा बनाया जब साल 1535 में सलामत खान की मृत्यु हुई। सलामत खान के प्रपोत्र पीर मुहम्मद खान सम्राट अकबर के दरबार में सलाहकार रहे। लगभग 200 साल इस परिवार ने उस जगह सैनिक सेवाएं दी, जहां उन्हें लगा कि ये लड़ाई उन्हें पैसा और शोहरत देगी।
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फैज तलब खान थे पटौदी के पहले नवाब

सन 1800 तक आते जब तय हुआ कि अब अंग्रेज के हाथ में पावर होगी तो इसी खानदान से ताल्लुक रखने वाले अलफ खान ने परिवार सहित खुद को लॉर्ड लेक के समक्ष प्रस्तुत किया और अंग्रेजों की तरफ से होकर और मराठों से लड़े। उन्होंने मुगलों का कई लड़ाइयों में साथ दिया जिसके चलते ही राजस्थान और दिल्ली में तोहफे के रूप में जमीनें मिली थी जिसमें पटौदी रियासत की स्‍थापना हुई। साल 1804 में लॉर्ड लेक ने इनाम के रूप में अल्फ खान के बेटे फैज तलब खान को पटौदी की जागीर के साथ न्यायिक व रेवेन्यू अधिकार भी दिए जिसके बाद से उन्हें नवाब की उपाधि मिली और इस तरह वह बने पटौदी के पहले नवाब। मौत के बाद उनके बेटे अकबर अली खान पटौदी दूसरे नवाब बने जिन्हें आधुनिक पटौदी का जन्मदाता कहा जाता है। इस तरह पटौदी रियासत के पहले नवाब फैज तलब खान, दूसरे नवाब अकबर अली सिद्दिकी खान, तीसरे मोहम्मद अली ताकी सिद्दिकी खान, चौथे मोहम्मद मोख्तार सिद्दिकी खान, पांचवें मोहम्मद मुमताज सिद्दिकी खान, छठे मोहम्मद मुजफ्फर सिद्दिकी खान और सातवें नवाब मोहम्मद इब्राहिम सिद्दिकी खान रहे।
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200 साल पुराना है पटौदी रियासत का इतिहास

इफ्तिखार अली खान हुसैन सिद्दिकी पटौदी, पटौदी रिसायत के 8वें नवाब बने जो उस समय के मशहूर क्रिकेटर भी थे। सैफ अली खान उन्हीं के पोते हैं। इफ्तिखार के बेटे मंसूर अली खान उर्फ टाइगर पटौदी 9वें नवाब रहे। उन्‍हें लोग नवाब पटौदी के नाम से भी जानते थे। उसके बाद सैफ को 10वें नवाब की पदवी मिलीं हालांकि वो इस नवाब की पदवी को नहीं लेना चाहते थे क्योंकि सरकार इस पद को नहीं मानती लेकिन इब्राहिम पैलेस में जब 52 गांवों के सरपंचों ने उनके सिर पर पगड़ी बांधी तो लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए उन्होंने 10वें नवाब की उपाधि ली। पटौदी रियासत का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। यह हरियाणा के गुड़गांव जिसे अब गुरुग्राम कहते हैं,से 26 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसा है। नवाब परिवार का पटौदी पैलेस के नाम से महल भी है जहां अक्सर सैफ अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने जाते रहते हैं इस महल में उनके पिता मंसूर अली उर्फ नवाब पटौदी को दफनाया गया था और उनके अन्य पूर्वजों की कब्र भी यहीं आसपास है। 10 एकड़ में फैला उनका पटौदी पैलेस 800 करोड़ से ज्यादा कीमत का है जिसमें डेढ़ सौ से ज्यादा कमरे हैं और पैलेस का इंटीरियर ही काफी आलीशन है। सैफ के पिता मंसूर अली खान पटौदी की मृत्यु के बाद महल को नीमराना होटल्स को दिया गया था, जिसने इसे 2014 तक एक लग्जरी संपत्ति के रूप में संचालित किया था। इस पैलेस की एक झलक पाने को लोग बेताब रहते हैं।

अब तो आप जान गए होंगे कि पटौदी रिसायत में नवाबों का सिलसिला कैसे और कब से शुरू हुआ। 

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