दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। वहीं भारत ने कोरोना को खत्म करने के लिए प्लान बी बनाया है। दरअसल, कोरोना को खत्म करने के लिए भारत हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) का सहारा ले सकता है। इसके लिए देश की एक बड़ी आाबादी में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा होनी चाहिए।
क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी?
हर्ड इम्युनिटी का मतलब है, सामाजिक रोग प्रतिरोधक क्षमता। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर कोई बीमारी किसी समूह के बड़े हिस्से में फैलती है तो इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी से लड़ने में संक्रमित लोगों की मदद करती है। जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं यानी उनमें प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाते हैं, जो कोरोना के खिलाफ स्थायी इलाज के तौर पर काम करेगी। इसे ही हर्ड इम्युनिटी कहा जा रहा है।
कोरोना के खिलाफ 'ब्रह्मास्त्र' बनेगी 'हर्ड इम्यूनिटी'
अगर भारतीयों में बड़ी तादाद में लोगों के अंदर कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाए तो हर्ड इम्यूनिटी कोरोना के खिलाफ कैसे ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है। भारत में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट शुरू हो चुका है। फिलहाल सरकार की ओर से हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट की कोई औपचारिक प्रयास नहीं किया जा रहा है लेकिन देश में जो परिस्थितियां बन रही हैं, इससे भारतीयों में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट भी हो जाएगा।
क्या 'ग्रीन जोन' में शुरू हुआ हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट?
कोरोना संक्रमण के आधार देश के जिलों को तीन जोन में बांटा गया है- ग्रीन, आरेंज और रेड जोन। देश के 43 प्रतिशत से ज्यादा जिले ग्रीन जोन में आते हैं, जहां पर लॉकडाउन थ्री में कुछ शर्तों के साथ लोगों को छूट मिल रही है। ऐसे में माना जा रहा है इन इलाकों में लोगों का हर्ड इम्यूनिटी टेस्ट भी हो जाएगा।
इलाज का पुराना तरीका है हर्ड इम्युनिटी
हर्ड इम्युनिटी इलाज का एक पुराना तरीका है, जिसमें या तो बड़ी आबादी को वैक्सीन दी जाती है, जिससे उसके शरीर में एंटीबॉडीज बन जाती हैं। चेचक, खसरा और पोलियो के साथ के दौरान भी यही तरीका अपनाया गया था। दुनिया भर में लोगों को इसकी वैक्सीन दी गई और ये रोग अब लगभग खत्म हो गए या किसी को होता भी है।
ब्रिटेन भी इस्तेमाल करने वाली है हर्ड इम्युनिटी
बता दें कि ब्रिटेन की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) के विशेषज्ञों का मानना है कि जब समाज का एक बड़ा हिस्सा कोरोना से संक्रमित हो जाएगा तो फिर कोरोना वायरस संक्रमण के लिए किसी नए शरीर को नहीं खोज पाएगा क्योंकि पहले से ही संक्रमण मौजूद है। हालांकि ब्रिटेन में अब भी इस प्रकिया पर काम शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि इसमें खतरा ज्यादा है।