अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही वहां के लोग अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। भारत लौटे कई अफगानियों ने अपनी दिल दहला देने वाली आप बीती सुनाई। इसी बीच अब अफगानिस्तान के स्वतंत्र चुनाव आयोग की पहली महिला प्रमुख हवा आलम नूरिस्तानी ने भी वहां के भयावह हालातों के बारे में बताया।
8 अगस्त को बेरूत में होने वाली कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए गई 56 वर्षीय हवा आलम नूरिस्तानी को यह नहीं मालूम था कि कुछ ही दिनों में उनके अफगान की हालत दयनीय होने वाली है। द 15 अगस्त को जब नूरिस्तानी अब सहकर्मियों के साथ दुबई एयरपोर्ट पर काबुल के लिए ट्रांजिट फ्लाइट का इंतजार कर रही थीं तब उनके परिजनों ने उन्हें अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबानी कब्जे के बारे में बताया। परिजनों ने नूरिस्तानी से कहा कि घर लौटना अब सुरक्षित नहीं होगा।
इसके बाद नूरिस्तानी के साथ आठ चुनाव आयुक्तों ने दुबई एयरपोर्ट से घर लौटने के बजाय किसी दूसरे मुल्क चले जाने का फैसला किया। बता दें कि नूरिस्तानी अफगानिस्तान के स्वतंत्र चुनाव आयोग की पहली महिला प्रमुख थीं और उन्होंने ही 2019 के चुनाव में अशरफ गनी की जीत के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे।
दुबई एयरपोर्ट पर जब परिजनों का फोन आया तब लगा सब कुछ खत्म हो गया
अफगान के हालातों पर नूरिस्तानी ने कहा कि मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकती, जब मैंने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बारे में सुना। नूरिस्तानी ने कहा कि दुबई एयरपोर्ट पर इंतजार करते हुए उन्होंने महसूस किया कि सबकुछ खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि हम दुबई एयरपोर्ट एक अनिश्चित भविष्य को देख रहे हैं, हमें नहीं पता था कि हम यहां से कहां जाएं और कहां रहें, ये सबकुछ बड़ी तेजी से हुआ।
तालिबान के डर से मेरे बच्चों और गर्भवती बहू को छिपना पड़ा है
नूरिस्तानी ने कहा कि परिजनों की सलाह पर अमल करने से मेरी जान बच गई लेकिन तालिबान ने मेरे घरों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि वे हमारी कार ले गए हैं, हमारे बॉडीगॉर्ड ले गए हैं और हमारे उपकरण भी उठा ले गए। उन्होंने हमारे घरों में लूट मचा रखी है, घर के सारे लोग विस्थापित हो गए हैं, मेरे बच्चों और गर्भवती बहू को छिपना पड़ा है।
उम्मीद नहीं थी, काबुल इतनी जल्दी तालिबान के सामने ढेर हो जाएगा
नूरिस्तानी ने बताया कि हमें उम्मीद नहीं थी कि काबुल इतनी जल्दी तालिबान के सामने ढेर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘काबुल वो राजधानी थी, जिसके बारे में हम बात करते थे, हमारे पास सुरक्षा बल थे। ये सबकुछ बहुत सदमा भरा था, ना केवल मेरे बच्चे मुझसे दूर हो गए हैं, बल्कि मैंने अपने लोगों, अपनी सरजमीं, जिसके मैं प्यार करती थी, जिसके लिए मैं काम करती थी वो सब खो दिया है।
तालिबान का कब्जा इतिहास का एक बदनुमा चैप्टर है
नूरिस्तानी ने कहा कि अफगानिस्तान में काबुल पर तालिबान का कब्जा इतिहास का एक बदनुमा चैप्टर है। उन्होंने कहाकि हमने दो दशकों में हासिल प्रगति को खो दिया है। मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए किया गया काम सब कुछ खत्म हो गया है। दुनिया विकास कर रही है और हम पीछे की ओर लौट रहे हैं। अगर मैं अपनी जर्नी के बारे में बताऊं तो मैं सांसद थी, मानवाधिकार आयोग में कमिश्नर थी, 2019 में हुए चुनाव की मैंने अगुवाई की। लेकिन अब जब तालिबान ने अफगान पर अपना कब्जा कर लिया है तो यह सबकुछ असंभव है अब सबकुछ खत्म हो गया।