सब चाहते हैं कि उनके घर में सुख और खुशहाली हो और वास्तु में घर बनवाने के कुछ नियम बताए गए हैं ओर बताया गया है कि अगर आप इन नियमों को ध्यान में रख कर घर बनवाते हैं तो आपके घर में सुख, शांती और खुशहाली हमेशा कायम रहेगी।
वास्तु के नियमों के अनुसार जानिए कि घर में किस दिशा में क्या होना चाहिए-
उत्तर दिशा
वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा कुबेर देवता की होती है। इसलिए इस दिशा में तिजोरी रखनी चाहिए और धन के आगमन के लिए इस दिशा को खाली रखना चाहिए।
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य देव और इंद्र देव हैं। इस दिशा को खाली रखना चाहिए।
दक्षिण दिशा
यह यम के आधिपत्य एंव मंगल ग्रह के पराक्रम वाली और पृथ्वी तत्व की प्राधीनता वाली दिशा है। इस दिशा में भारी सामान होना चाहिए, खुलापन या शोचालय नहीं होना चाहिए।
पश्चिम दिशा
इस दिशा के देवता वरूण और ग्रह स्वामी शनि हैं। इस दिशा में आपका रसोईघर या टाॅयलेट होना चाहिए। लेकिन रसोईघर और टाॅयलेट पास-पास न हो, इसका खाम ध्यान रखें।
ईशान कोण
गुरू ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं और घर की इस दिशा में भगवान शिव का स्थान माना जाता है। यह घर की उत्तर पूर्व की दिशा होती है। इस दिशा में पूजा घर होना चाहिए।
आन्गेय कोण
यह घर की दक्षिण पूर्व दिशा होती है। यह अन्गि तत्व की दिशा होती है। इसलिए इस दिशा में गैस, इलेक्ट्राॅनिक सामान होना चाहिए।
नैऋत्य कोण
यह घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा होती है। इस दिशा में खुलापन, अर्थात खिड़की दरवाजे बिल्कुल नहीं होने चाहिए। इस दिशा में पृथ्वी तत्व का स्थान है और इसी दिशा में स्वामी राहु और केतु है। घर के मुखिया का कमरा यहां बनाना चाहिए।
वायव्य कोण
यह घर की उत्तर पश्चिम दिशा होती है।इस दिशा में वायु का स्थान है और इस दिशा के स्वामी ग्रह चन्द्र हैं। इस दिशा में बैडरूम, गौशाला, गैरेज आदि होना चाहिए।