हमारे भारत में बहुत सी अजीब ओ गरीब जगहें हैं जहां पर अक्सर भूतों और आत्माओं का साया बताया जाता है। लेकिन शायद आपने ऐसी जगह का नाम ना सुना हो जहां पर लोग जिन्न को खत लिखते हैं। खा गए ना चक्कर। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के 'फिरोजशाह कोटला किले' की, जहां के लोगों का मनाना है कि वहां पर जिन्न बसते हैं और वो 'अलादीन के चिराग' की तरह लोगों कि इच्छाओं को भी पूरा करते है। आखिर क्या है रहस्य इस खंडहर का, जहां पर लोग दूर-दूर से अपनी अर्जी लेकर आते हैं। आज हम आपको इसी रहस्य के बारे में बताने वाले हैं।
फिरोजशाह ने बनावाया था किला
तुगलक सल्तनत के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक अपने चाचा मुहम्मद बिन तुगलक से राजगद्दी छीनने के बाद सन 1355 ई में फिरोज शाह कोटला किले को बनवाया था। उसी साल सुल्तान ने फिरोजाबाद नाम का शहर भी बनवाया था। इतिहास में जिक्र मिलता है कि फिरोज शाह के आदेश पर शहर और किला यमुना किनारे बनावाये गए थे। इस किले को बनवाने का एक और कारण था कि तुगलकाबाद के किले में पानी की समस्या थी।
जिन्नातों के साए में है कोटला का किला
माना जाता है कि कई सालों से इसमें जिन्न रहते हैं। इमरजेंसी के दौरान इस किले में 'लड्डू शाह' नाम के बाबा रहने लगे। उन्होनें अपनी शागिर्दों को यहां के जिन्नों की शक्तियों के बारे में बताया, जो वो महसूस कर सकते हैं। उनका ये भी कहना था कि जिन्न सब सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं।
गुरुवार को लगाते हैं हाजिरी
अगर आप फिरोज शाह कोटला जाते हैं तो आपको 25 रुपये कि टिकट लगेगी। वहीं नीचे एक कमरा बना हुआ है जो कि कोरोना के बाद बंद हो गया। महामारी से पहले लोग यहां पर चिराग जलाते थे। लोग आज भी एक चिट्ठी में अपनी फरियाद लेकर जिन्न के पास आते हैं। बता दें कि गुरुवार को यहां पर काफी संख्या में लोग आते हैं और अपनी परेशानियों को जिन्न के सामने रखते हैं। यहां पर सबसे ज्यादा चर्चित जिन्न है लाट वाले बाबा जो बाकी जिन्नों के मुखिया हैं। माना जाता है कि वो 13.1 मीटर के पत्थर से बने मीनार-ए-जरीन में रहते हैं। इस मीनार के आसपास रेलिंग लगी है।
कैसे होते हैं जिन्न?
कोटला किले में पुरुष और महिलाओं के लिए नियम भी है। लोगों का कहना है यहां पर ज्यादा इत्र लगाकर नहीं आना चाहिए। कहा जाता है कि जिन्न इंसानों को काबू कर सकते हैं और उनसे कुछ भी करवा सकते हैं। मान्यता है कि ये जिन्न हजारों सालों तक जी सकते हैं और इंसानों की ही तरह परिवार चला सकते हैं।