भारत में आंखों का फड़कना को अक्सर अंधविश्वास से जोड़ कर देखा जाता है। लोग इसे अशुभ मानते हैं। लेकिन आपको बता दें इसके पीछे वजह है। जब पलक की मांसपेशियों में ऐंठन होती है, तब आंख फड़कती हैं। ज्यादातर ऊपर वाली पलक ही फड़कती है जो कुछ मिनटों या घंटे में अपने आप ही बंद हो जाती है।
आंख फड़कना को न लें हल्के में
आंखों के फड़कने को मेडिकल की भाषा में 'Myokymia' कहते है, जो ज्यादातर स्ट्रेस, आई स्ट्रेन, नींद की कमी और एल्कोहल के सेवन की वजह से होता है। इसके अलावा जिन्हें विजन संबंधी प्रॉब्लम्स होती हैं, उनकी आंखों पर जोर पड़ने से भी ये फड़कने लगती हैं। कैफीन का सेवन जैसे की चाय, कॉफी और चॉकलेट भी इसकी वजह हो सकती है। हालांकि अगर नीचे और ऊपर की दोनों पलके फड़कने लगे और ऐसा लंबे समय तक चलता रहे तो ये किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकती है।
आईलिड मायोकेमिया
इस स्थित में आंखों का फड़कना हल्का होता है और ज्यादातर ये बिजी लाइफस्टाइल के चलते होता है। इसकी वजह हो सकती है स्ट्रेस, आंकों की थकावट, कैफीन का ज्यादा सेवन, नींद का पूरा न होना या स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताना। वैसे ऐसे में आंख फड़कना कुछ घंटों में बंद हो जाता है।
बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म
ये बीमारी तब होती है जब आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। इससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपनी आंखों की पलकें झपकते हुए दर्द महसूस होता है। इसमें कई बार आंखों को खोलना मुश्किल हो जाता है, आंखों में सूजन रहती है और धुंधला दिखाई देता है।
हेमीफेशियल स्पाज्म
ये सबसे खतरनाक बीमारी है, जिसका असर चेहरे पर भी दिखने लगता है। चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है। इसकी शुरुआत आंखें फड़कने से होती हैं और बाद में गाल और मुंह की मांसपेशियां भी फड़कने लगती हैं।
ऐसे करें बचाव
- अपनी डाइट में कैफीन और जंक फूड कम करें। हरी सब्जियां और फल भरपूर मात्रा में लें और खूब सारा पानी पीएं।
- अगर आपका स्क्रीन टाइम ज्यादा है तो आंखों को आराम दें। लंबी वॉक पर जाएं और एक्सरसाइज करें। भरपूर नींद लें।
- एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर लुब्रिकेंट आई- ड्रॉप का इस्तेमाल करें। इसे दिन में कम से कम 2-3 बार अपनी आंखों में डालें। इससे आंखों में नमी बनी रहेगी और ड्राई- आई की समस्या से राहत मिलेगी।