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आंखों की रोशनी से जुड़े कुछ मिथक: क्या आप भी करते हैं इन पर भरोसा?

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 27 Nov, 2024 12:57 PM
आंखों की रोशनी से जुड़े कुछ मिथक: क्या आप भी करते हैं इन पर भरोसा?

नारी डेस्क: आंखों की सेहत हमारे जीवन का अहम हिस्सा है, और यही वजह है कि हम अपनी आंखों की देखभाल के लिए कई मिथकों और गलत धारणाओं पर विश्वास करने लगते हैं। इन मिथकों पर विश्वास करके हम यह सोचने लगते हैं कि इनसे हमारी आंखों की रोशनी बेहतर हो सकती है, जबकि इनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता। यहां हम आपको कुछ ऐसे मिथकों के बारे में बताएंगे जिन्हें लोग सच मानते हैं, लेकिन वे गलत हैं। हेल्थ एक्सपर्ट सीमा राज ने इन मिथकों को लेकर अपनी राय दी है।

नंगे पैर घास पर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है

बहुत से लोग मानते हैं कि नंगे पैर घास पर चलने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है, लेकिन यह सिर्फ एक मिथक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करने से आंखों की रोशनी पर कोई असर नहीं पड़ता। हां, यह शरीर के लिए अच्छा हो सकता है, क्योंकि नंगे पैर घास पर चलने से शरीर को एक तरह का प्राकृतिक आराम मिलता है, लेकिन इससे आंखों की रोशनी में कोई बदलाव नहीं आता। इसके अलावा, घास पर चलने से पैरों में घाव या चोट लगने का खतरा भी बढ़ सकता है।

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 डिम लाइट में पढ़ाई करने से आंखों को नुकसान होता है

यह एक आम मिथक है कि डिम लाइट में पढ़ाई करने से आंखों को नुकसान होता है। हालांकि, यह सत्य नहीं है। जब बिजली का आविष्कार नहीं हुआ था, तो लोग ढिबरी, तेल की लाइट या मोमबत्ती की हल्की रोशनी में पढ़ाई करते थे और इससे आंखों को कोई नुकसान नहीं हुआ। असल में, डिम लाइट में पढ़ाई करना आंखों को थकावट महसूस करवा सकता है, लेकिन यह स्थायी रूप से आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता। हां, लंबे समय तक पढ़ाई करने से आंखों में सूजन, लालिमा और थकावट हो सकती है, लेकिन इसके लिए आपको नियमित ब्रेक लेने की आवश्यकता होती है।

आंखों की एक्सरसाइज से चश्मा उतर सकता है

यह धारणा कि आंखों की एक्सरसाइज से चश्मा उतर सकता है, पूरी तरह से गलत है। विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों की एक्सरसाइज से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन यह चश्मे का नंबर कम नहीं करता। दरअसल, यदि आंखों की रेटिना, नर्व्स या दृष्टि में अन्य कोई समस्या हो, तो केवल एक्सरसाइज से उसका इलाज नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में डॉक्टर से सलाह और उचित इलाज जरूरी है। एक्सरसाइज से आंखों की सेहत में सुधार हो सकता है, लेकिन चश्मे का नंबर बदलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

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गाजर खाने से चश्मे का नंबर कम हो सकता है

गाजर में विटामिन A, C और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो आंखों के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन यह एक मिथक है कि गाजर खाने से चश्मे का नंबर कम हो सकता है। गाजर से आंखों की सेहत जरूर सुधर सकती है, और यह आपकी दृष्टि को स्वस्थ रख सकता है, लेकिन यह चश्मे का नंबर कम नहीं करता। गाजर खाने से आंखों के संक्रमण या दृष्टि संबंधी समस्याओं का इलाज नहीं होता। हालांकि, यह आंखों की अन्य समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है, जैसे कि रात को देखने में कठिनाई या अन्य विटामिन की कमी।

 पलकें झपकाने से दृष्टि में सुधार होता है

यह मिथक भी बहुत प्रचलित है कि पलकें झपकाने से दृष्टि में सुधार होता है, लेकिन यह भी गलत है। पलकें झपकाना आंखों को आराम देने का एक तरीका है और इससे आंखों में नमी बनी रहती है, जिससे आंखें सूखी नहीं होतीं। हालांकि, इससे आपकी दृष्टि में कोई सुधार नहीं होता। पलकें झपकाने से आंखों को आराम मिल सकता है, लेकिन यह किसी प्रकार से दृष्टि सुधारने में मदद नहीं करता। यह सिर्फ आंखों के आंसू स्राव को नियंत्रित करता है, जिससे आंखें स्वच्छ और आरामदायक रहती हैं।

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इन मिथकों को जानने के बाद आप आंखों से संबंधित सही जानकारी को समझ पाएंगे। आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सही आहार, जीवनशैली और नियमित जांच आवश्यक है। अगर आपको आंखों से संबंधित कोई समस्या हो, तो हमेशा विशेषज्ञ से सलाह लें, और किसी भी मिथक पर विश्वास करने से बचें। अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय दें।

 

 

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