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पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों... कठोर से कठोर पिता भी रो पड़ता है बेटी की विदाई पर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 20 Jun, 2023 01:40 PM
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों... कठोर से कठोर पिता भी रो पड़ता है बेटी की विदाई पर

"पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी, आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी"... पिता और बेटी का रिश्ता सबसे अनमोल और खास होता है। कहा जाता है कि पिता का दिल बहुत मजबूत होता है वह मां की तरह हर छोटी- छोटी बात पर आंसू नहीं बहाते, लेकिन बेटी की विदाई पर वह अपने आंसू रोक नहीं पाते।

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जब घर में बेटी का जन्म होता है तो सबसे ज्यादा खुशी पिता को ही होती है, देखा भी यही गया है कि बेटियां सबसे ज्यादा करीब अपने पिता के ही होती हैं। जब पिता को कोई तकलीफ होती है तो बेटी ही सबसे पहले उनके पास दौड़ी चली आती है। ये रिश्ता इतना प्यारा है जिसे शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है।

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जो पिता कभी अपनी बेटी की आंखों में आंसू नहीं देख सकता, जरा सोचिए उसे घर से विदा करना कितना मुश्किल होता होगा। कोई भी पिता नहीं चाहता की उसकी बेटी उससे दूर रहे लेकिन समाज का दस्तूर यही है, ऐसे में दिल पर पत्थर रखकर बेटी को विदाई देनी ही पड़ती है। जब बेटी का रिश्ता तय होता है तो सबसे ज्यादा खुश भी पिता ही होते हैं और सबसे ज्यादा दुख भी उन्हें ही होता है। 

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 सीता की विदाई के समय राजा जनक जैसे ज्ञानी भी अपने धैर्य पर संयम नहीं रख सके थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार विदाई के समय माता  सीता अपने महल में एकांत में रो रही थी। जानकी जी का रोना देखकर जनक जी भी खुद को रोक नहीं पाए और फूट-फूट कर रोने लगे।

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तभी तो कहा जाता है कि पिता और बेटी के संबंध का दुनिया में कोई भी मोल नहीं हो सकता। इस रिश्ते में प्यार के अलावा और कुछ नहीं होता। भले ही बेटी अपनी मां से एक बार के लिए कुछ छुपा सकती हैं परंतु वह अपने पिता को सब कुछ बता देती हैं। तभी उसके जाने के बाद पिता खुद को बेहद अकेला महसूस करते हैं।

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शादी के समय जब बेटी की विदाई होती है मां ताे अपना दर्द बयां कर देती है, लेकिन पिता किसी तरह अपने आंसुओं को रोक पाते हैं। क्योंकि वह जानते हैं कि अगर वह अपनी लाडली के आगे रो पड़े तो वह बुरी तरह से टूट जाएगी उसके लिए कदम आगे बढ़ाना बेहद मुश्किल हो जाएगा, तभी वह आखिर में रोते हैं। 

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बाकी सब भावुकता में रोते है पर पिता उस बेटी के बचपन से विदाई तक के पल याद कर कर के रोता है। एक पिता किसी कोने में जाकर कितना फुट फुट रोता है यह बात वही जान सकता है जिसने अपनी बेटी को विदा किया है। 
 

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