छोटी बच्चियों पर ईयररिंग्स बहुत प्यार लगती हैं और पैरेंट्स भी अपनी नन्हीं परी के कान छिदवाने में देर नहीं लगाते हैं। लेकिन ऐसा करते हुए कुछ सेफ्टी टिप्स का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि बच्चों की स्किन बहुत सेंसेटिव होती है तो सावधानी बरतनी चाहिए। पहली बात तो ये ही की बहुत छोटी बच्चियों के कान छिदवाने ही नहीं चाहिए, अगर छिदवा रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखें वरना इंफेक्शन हो सकता है।
छोटी उम्र में रहता है खतरा
छोटी उम्र के बच्चों का कान छिदवाना हानिकारक हो सकता है। खासतौर पर नवजात शिशु के कान में छेद करवाने से इंफेक्शन हो सकता है। नवजात का इम्यूनिटी लेवल डेवलप हो रहा होता है। ऐसे में इंफेक्शन होने पर बच्चा इंफेक्शन से लड़ नहीं पाएगा और घाव होने पर ठीक होने में वक्त लग सकता है।
कान छिदवाने की सही उम्र
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 9-10 साल के उम्र के बच्चों के कान छिदवाने के लिए सही उम्र है। इसमें वो भी कान छिदवाने की प्रोसेस को समझते हैं। इसके साथ ही वो अपने पियर्सिंग की खुद भी देखभाल कर सकते हैं। इससे चोट लगने और घाव होने का खतरा कम होता है। यहीं नहीं पायरेसिंग के बाद इतने बड़े बच्चे अपनी ईयररिंग्स को और भी अच्छे से संभाल सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चों के कान छिदवाने के लिए अक्टूबर से लेकर नवबंर तक का समय सही होता है। इस मौसम में कान में इंफेक्शन का खतरा कम होता है।
- कान छिदवाने से पहले किसी अच्छी नंबिग क्रीम का इस्तेमाल करें। इससे स्किन थोड़ी देर के लिए सुन्न हो जाएगी।
- नंबिग क्रीम की जगह बर्फ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे दर्द महसूस नहीं होगा।
-कान छिद जाने के बाद बर्फ की सिंकाई से दर्द कम होता है।
- बच्चों को ईयर पियर्सिंग के बारे में खुद से बताएं और उनकी राय भी लें।
- बच्चे को बार- बार पियर्सिंग वाली जगह छूने से मना करें। इससे इंफेक्शन हो सकता है।
- कान छेदने वाली ईयररिंग्स को कम से कम 6 हफ्ते तक ऐसे ही कान में रहने दें, उसके बाद दूसरी ईयररिंग्स पहनें।
- कान में छेद को शुरुआत दिनों में जितना हो सके पानी से बचाएं।