नवरात्रि का पावन त्योहार अब समाप्त होने को आया है। इसकी दशमी तिथि पर दशहरे का पावन त्योहार मनाने की प्रथा है। मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्रीराम ने रावण और देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता हैं। इसलिए इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। देशभर के अलग-अलग राज्यों में इसे कुछ खास तरीकों से मनाएं जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल में 5 जगहों के दशहरा मेला के बारे में बताते हैं, जो पूरी दुनिया मे फेमस होते हैं।
कुल्लू- मूर्ति सिर पर रखकर जाते हैं लोग
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाए जाने वाला दशहरा दुनियाभर में फेमस है। यहां पर दशहरे को अंतरराष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया है। ऐसे में यहां पर दशहरे की रौनक देखने वाली होती है। देश-विदेश से भारी गिनती में लोग कुल्लू का दशहरा देखने पहुंचते हैं। बता दें, कुल्लू में 17 वीं शताब्दी से यह पर्व मनाया जा रहा है। इस दौरान लोग अलग-अलग भगवानों की मूर्तियां सिर पर रखकर भगवान राम से मिलने जाते हैं। साथ ही इस उत्सव को पूरे 7 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है।
मदिकेरी- 10 दिनों में मनाया जाता उत्सव
कर्नाटक के मदिकेरी शहर का दशहरा उत्सव देखने वाला होता है। यहां पर पूरे 10 दिनों तक दशहरा मनाया जाता है। इसके लिए शहर के 4 बड़े व अलग-अलग मंदिरों में खास आयोजन होता है। बता दें, इसकी तैयारी करीब 3 महीने से शुरु हो जाती है। फिर दशहरे के दिन मरियम्मा नामक एक खास उत्सव की शुरुआत की जाती है। कहा जाता है कि एक समय में इस शहर के लोगों को किसी खास बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। उस समय इससे बचने के लिए मदिकेरा के राजा ने देवी मरियम्मा को प्रसन्न करने के लिए इस विशेष उत्सव को मनाने की प्रथा शुरु की थी।
बस्तर- रथ चलाने का आयोजन
पौराणिक कथा मुताबिक, भगवान राम अपने वनवास काल में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दण्डकरण्य में भी रहे हैं। बस्तर में पिछले 600 साल से दशहरा पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही यही पर जगदलपुर में मां दंतेश्वरी मंदिर भी स्थापित है। यहां पर हर साल दशहरे के पावन दिन पर वन क्षेत्र के हजारों आदिवासी आते हैं। असल में, यहां के आदिवासियों और राजाओं के बीच अच्छा मेल-जोल होने से प्रभु श्रीराम ने यहां पर रथ चलाने की प्रथा आरंभ की थी। इसलिए यहां पर बाकी राज्यों की तरह रावण दहन होने की जगह पर रथ चलाया जाता है।
मैसूर- दुल्हन की तरह सजाया जाता है मैसूर महल
कर्नाटक के मदिकेरी शहर की तरह मैसूर का दशहरा भी देखने वाला है। यहां पर दशहरे का मेला नवरात्रि से शुरु हो जाते हैं। इस देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। कहा जाता है यहां पर दशहरे मेले का आयोजिन सबसे 1610 में हुआ था। इस पर्व पर मैसूर महल को दुल्हन की तरह सजाने की प्रथा है। इसके साथ ही नाच-गाने के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है।
कोटा- 125 वर्ष पुरानी परंपरा
राजस्थान के कोटा शहर का दशहरा भी दुनियाभर में फेमस है। यहां पर पूरे 25 दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। दशहरे मेले की शुरुआत आज के करीब 125 साल पहले महाराज भीमसिंह द्वितीय द्वारा हुई थी। तब से यह परंपरा चल रही है। इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला जलाया जाता है। इसके अलावा लोग भजन कीर्तन और कई प्रकार की प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।