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अधूरी इच्छा होगी पूरी, इन नियमों के साथ करें दुर्गासप्तशती का पाठ

  • Edited By palak,
  • Updated: 26 Sep, 2022 06:44 PM
अधूरी इच्छा होगी पूरी, इन नियमों के साथ करें दुर्गासप्तशती का पाठ

आज से मां दुर्गा के शारदीय नवरात्रि शुरु हो चुके हैं। नवरात्रि शुरु होते ही भक्त मां की पूजा-अर्चना करनी शुरु कर देते हैं। इस दौरान भक्त हवन, आरती, चालीसा और दुर्गासप्तशाती का पाठ करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पाप का नाश होता है। मां नवरात्रि के दौरान भक्तों का कल्याण करने के लिए धरती पर आती हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से हर तरह की चिंता, तनाव और कलेश से मुक्ति मिलती है। परंतु इस पाठ को सही से करना बहुत जरुरी है। तो चलिए आपको बताते हैं दुर्गा सप्तशती पाठ के क्या नियम हैं...

हाथ में पुस्तक लेकर न करें पूजा 

जब भी आप दुर्गा  सप्तशती का पाठ करें तो पुस्तक को किसी चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर रखें। मान्यताओं के अनुसार, हाथ में पुस्तक लेकर पाठ करने से पूजा का फल नहीं मिलता है। 

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बीच में छोड़कर न उठें पाठ 

पाठ कभी भी बीच में छोड़कर न उठें। जब भी आप पाठ कर रहे हैं तो पूरे विधि-विधान से करें। पाठ बीत में भी न रुकें। चतुर्थ अध्याय पूरा होने के बाद आप विश्राम कर सकते हैं। 

स्पष्ट हो शब्दों का उच्चारण 

पाठ करते समय आपके शब्दों का उच्चारण एकदम स्पष्ट और लय में होना चाहिए। पाठ की गति भी न ज्यादा तेज रखें और न ही ज्यादा धीमी। एक संतुलित लय में आप पाठ को पढ़ें। 

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आसन का करें शुद्धिकरण 

पाठ करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि जिस आसन पर आप बैठ रहे हैं वो एकदम साफ होना चाहिए। पाठ से पहले आसन की अच्छे से शुद्धिकरण कर लें। आप लाल रंग के आसन पर बैठकर ही दुर्गा सप्तशति का पाठ करें। 

पाठ शुरु करने से पहलें करें पुस्तक को प्रणाम

दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरु करने से पहले पुस्तक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करें और फिर पाठ पढ़ना शुरु कर दें। 

इस क्रम में पूरा करें पाठ 

यदि आप एक दिन में पूरा पाठ नहीं पढ़ सकते तो पहले दिन सिर्फ मध्यम चरित्र पढ़े। इसके बाद अगले दिन बाकी बचे हुए 2 चरित्र का पाठ करें। इसके अलावा आप एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्याय के रुप में भी पाठ पूरा कर सकते हैं। 


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