13 DECSATURDAY2025 6:37:57 AM
Nari

अक्सर चक्कर, घबराहट और बेचैनी महसूस होती है? कहीं हाइपर वेंटीलेशन तो नहीं

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 16 Nov, 2025 04:11 PM
अक्सर चक्कर, घबराहट और बेचैनी महसूस होती है? कहीं हाइपर वेंटीलेशन तो नहीं

 नारी डेस्क: अगर आपको बार-बार चक्कर आने लगते हैं, दिल तेजी से धड़कने लगता है, घबराहट महसूस होती है या बिना वजह चिंता घेरे रहती है, तो इसे हल्के में लेने की गलती न करें। मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि ये सभी लक्षण हाइपरवेंटिलेशन की ओर इशारा कर सकते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति जितनी सांस लेता है उससे ज्यादा तेजी से सांस छोड़ता है। इस वजह से शरीर में गैसों का संतुलन बिगड़ जाता है और कई तरह की शारीरिक परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं।

हाइपरवेंटिलेशन क्या होता है?

हाइपरवेंटिलेशन को आम भाषा में ओवर ब्रीदिंग भी कहा जाता है। इसमें इंसान बिना जाने ही तेज़ और गहरी सांसें लेने लगता है। जब शरीर जरूरत से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाल देता है, तो खून में इसकी कमी हो जाती है। इससे दिमाग तक जाने वाली रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं और व्यक्ति को चक्कर, सिर घूमना, बेचैनी और सांस फूलने जैसी परेशानी महसूस होने लगती है।

हमारे Body Parts को भी लगता है डर, जानिए कब और क्यों होता है ऐसा ?

लक्षण जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए

हाइपरवेंटिलेशन के दौरान कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं। इनमें सिरदर्द, चक्कर, कमजोरी, ध्यान लगाने में समस्या, छाती में दर्द और दिल की धड़‌कन तेज़ होना शामिल है। इसके अलावा मुंह सूखना, पेट में गैस बनना, होंठों या हाथ-पैर में झुनझुनी होना और मांसपेशियों में ऐंठन भी महसूस हो सकती है। इन संकेतों को अनदेखा करने से स्थिति खराब हो सकती है।

क्यों होता है हाइपरवेंटिलेशन?

इस समस्या की वजह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की हो सकती है। मानसिक कारणों में डर, चिंता, तनाव और पैनिक अटैक मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं शारीरिक रूप से यह अस्थमा, COPD, हृदय रोग या शरीर से अचानक ज्यादा खून बहने जैसी स्थितियों में भी हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ज़्यादातर मामलों में हाइपरवेंटिलेशन का संबंध चिंता और तनाव से जुड़ा होता है।

एंग्जायटी से कैसे जुड़ा है हाइपरवेंटिलेशन?

एंग्जायटी के दौरान शरीर की फाइट या फ्लाइट प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है। शरीर खतरे का भ्रम पैदा करता है और दिल की धड़कन तेज़ कर देता है। मांसपेशियों तक अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए व्यक्ति अनजाने में तेजी से सांस लेने लगता है। लेकिन जब वास्तविक खतरा मौजूद नहीं होता और मामला सिर्फ मानसिक तनाव का होता है, तब यह तेज़ सांसें घबराहट को और अधिक बढ़ा देती हैं। इसी वजह से एंग्जायटी और हाइपरवेंटिलेशन एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।

कैसे करें कंट्रोल?

विशेषज्ञों का कहना है कि एंग्जायटी से होने वाला हाइपरवेंटिलेशन खतरनाक नहीं होता, बशर्ते इसे समय रहते कंट्रोल कर लिया जाए। इसके लिए धीरे-धीरे गहरी सांस लेने का अभ्यास करना बेहद फायदेमंद होता है। योग, ध्यान और रिलैक्सेशन तकनीकें मन को शांत रखने में मदद करती हैं। अगर तनाव या चिंता लगातार बनी रहती है, तो मनोचिकित्सक या साइकोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि पेशेवर मदद इस समस्या को जल्दी कम कर सकती है।

PunjabKesari

कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी है?

हालांकि एंग्जायटी से जुड़ा हाइपरवेंटिलेशन आमतौर पर खतरनाक नहीं होता, लेकिन अगर बार-बार ऐसा हो रहा हो या इसके साथ तेज़ छाती में दर्द, बेहोशी या लगातार सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। कभी-कभी ये किसी गंभीर शारीरिक बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं, जिनका समय पर पता लगाना जरूरी है।

Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह के इलाज, दवा या मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में अपने डॉक्टर से संपर्क करना सबसे ज़रूरी  होता है।  

Related News