दीवाली की आहट भर से,
मन के हर कोने में,
मिट्टी की पर्तों में छुपे
अनछुए मुंडेरों पर
खुशियों के दीपक जलते हैं।
इस वर्ष दीवाली के पर्व पर
रुके, सोचें, अपने अंतर्मन में झांके
और एक दीया यह भी जलाएं...
सड़क के कोने में दुबके
भूख और ठंड में तड़पते लोगों को
अन्न का वरदान और कंबल की गर्माइश
समय और स्नेह का दीया जलाएं।
देश के अस्पतालों में
अपनी जान की परवाह न कर
लाखों जिंदगियों से लड़ते हुए
दिन-रात एक कर देने वाले
डॉक्टरों व नर्सों के नाम
एक दीया जरुर जलाएं...
देश की सरहदों पर
जान की बाजी लगाने वाले
सैनिकों के नाम
तूफानों को झेलती
मुश्किलों को लांघती,
उनकी हिम्मत के नाम,
एक दीया जरुर जलाएं।
डाॅ. दीपाली गुल (मनोचिकित्सक)
PIIMS, जालंधर।