लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। इस वायरस से खतरा तो सभी को है लेकिन माता-पिता खासकर अपने बच्चों को लेकर घबराए रहते हैं। वहीं इस बीच एक अध्ययन सामने आया है। मैसाच्युसेट्स जनरल अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लेल यॉन्कर के अध्ययन के अनुसार बच्चे साइलेंट सुपर स्प्रेडर होते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों में अडल्ट की तुलना में यह वायरल लोड ज्यादा होते हैं और ऐसे में अगर कोरोना के मामले और बढ़ते हैं तो बच्चे सुपर स्प्रेडर की भूमिका में इस वायरस के संक्रमण को और फैला सकते हैं।
बुजुर्गों के लिए बच्चे खतरा
इस अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि बच्चों से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को हैं और बच्चे उन्हें ज्यादा संक्रमित कर सकते हैं। हो सकता है कि ऐसे कईं बच्चे हों जिनमें इस वायरस के लभण न हो। वहीं कईं बार बच्चे इस वायरस से अनजान होते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि इस शोध में यह पाया गया है कि जो बच्चे इस वायरस से अनजान घूम रहे थे सबसे ज्यादा यह वायरस उन्हीं में मौजूद था।
बच्चों में वायरल लोड बड़ों से भी ज्यादा
अध्ययन की मानें तो बड़े लोगों में वायरल लोड नाक में सबसे ज्यादा पाया जाता है लेकिन इस अध्ययन में यह पाया गया कि जिन बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं उनमें बड़ों के मुकाबले ज्यादा संक्रमण का खतरा होता है।
खामोशी से बच्चों में फैल रहा कोरोना
बच्चों में ये वायरस 'साइलेंट स्प्रेडर्स' भी हो सकते हैं, यानी चुपचाप कोरोना वायरस बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है। यूएसए टूडे में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस रिसर्च में उन बच्चों को शामिल किया गया था जो या तो कोरोना संदिग्ध के संपर्क में आए थे, या फिर जिनमें कोरोना पॉजिटिव होने के लक्षण दिख रहे थे। इस स्टडी में 0-22 साल की उम्र के बच्चों को शामिल किया गया था। इनमें से कुछ बच्चों में कोरोना के लक्षण नहीं थे।
हर उम्र के बच्चों में वायरल लोड
इस शोध में यह भी पाया गया है कि हर उम्र के बच्चों में वायरल लोड बहुत ज्यादा होते हैं।
स्कूल खुले तो बिगड़ सकते हैं हालात
अब ऐसे में शोधकर्ताओं द्वारा यह साफ तौर पर कह दिया है गया है कि अगर इस साल स्कूल खुलते हैं तो हालात बहुत खराब हो सकते हैं क्योंकि बच्चे इस संक्रमण के खतरे से नहीं बच सकते हैं ऐसे में प्रशासन अगर बिना किसी योजना के स्कूल खोलता है तो इसके परिणाम बहुत खराब हो सकते हैं।