भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पुरुषों के लिए इंजेक्शन से ली जाने वाली दुनिया की पहली गर्भनिरोधक दवा का क्लीनिकल परीक्षण पूरा कर लिया है। परीक्षण से पता चला है कि यह बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के सुरक्षित और काफी प्रभावकारी है। तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण का निष्कर्ष पिछले महीने ‘एंड्रोलॉजी जर्नल' में प्रकाशित हुआ है। दावा किया जा रहा है कि इसका प्रभाव 13 सालों तक रहेगा।
परीक्षण में 303 प्रतिभागी हुए शामिल
परीक्षण में 25-40 वर्ष की आयु के 303 प्रतिभागी शामिल हुए थे। बहु-केंद्र वाले अस्पताल-आधारित चरण-तीन के क्लीनिकल परीक्षण पांच अलग-अलग केंद्रों (नयी दिल्ली, उधमपुर, लुधियाना, जयपुर और खड़गपुर) में किए गए और आईसीएमआर, नयी दिल्ली द्वारा समन्वित किए गए। चरण-तीन के क्लीनिकल परीक्षण आयोजित करने की अनुमति भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा दी गई थी और संबंधित केंद्रों की संस्थागत नैतिक समितियों द्वारा अनुमोदित की गई थी।
पत्नियों ने भी लिया हिस्सा
अध्ययन में 303 स्वस्थ, यौन रूप से सक्रिय और विवाहित पुरुषों तथा उनकी स्वस्थ एवं यौन रूप से सक्रिय पत्नियों ने हिस्सा लिया। ये प्रतिभागी नसबंदी के लिए परिवार नियोजन क्लीनिक और मूत्रविज्ञान या सर्जरी विभाग में आए थे। पुरुषों को 60 मिलीग्राम का ‘रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस' (आरआईएसयूजी) का इंजेक्शन लगाया गया। अध्ययन में कहा गया, ‘‘एजुस्पर्मिया (वीर्य निकलने में अवरोध) की स्थिति बनने के संबंध में आरआईएसयूजी की समग्र प्रभावकारिता 97.3 प्रतिशत थी और गर्भावस्था की रोकथाम के आधार पर बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के 99.02 प्रतिशत थी।''
जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाया गया कदम
अध्ययन में कहा गया कि गर्भनिरोधक विकास के इतिहास में आरआईएसयूजी पुरुष और महिला समेत सभी गर्भनिरोधकों की तुलना में उच्चतम प्रभावशीलता प्रस्तुत करता है। अध्ययन के अनुसार, दुनिया की लगातार बढ़ती आबादी के साथ, जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुष गर्भनिरोधक के आधुनिक तरीकों को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। गर्भनिरोधक उपाय के रूप में पुरुष नसबंदी काफी प्रभावी है, लेकिन इस पद्धति की कुछ प्रमुख सीमाएं बेहतर तकनीकों के विकास की मांग करती हैं।
इसका नहीं है कोई साइड इफेक्ट
पुरुषों के लिए आदर्श गर्भनिरोधक के रूप में एक बार के इंजेक्शन के साथ नगण्य दुष्प्रभावों के साथ दीर्घकालिक प्रभावशीलता का विकल्प होना चाहिए। अध्ययन में कहा गया, ‘‘इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आरआईएसयूजी के रूप में पुरुष गर्भनिरोधक के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित किया गया है। एक बार इंजेक्शन वाली पुरुष गर्भनिरोधक विधि के रूप में इसमें बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने की क्षमता है।'' अध्ययन में कहा गया है कि इस विधि की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें हार्मोनल इंजेक्शन वाले गर्भ निरोधकों के विपरीत शरीर के अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव नहीं होता ।