देश में हाल में किये गए एक सर्वेक्षण में शामिल लगभग 65 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों को लगता है कि मोबाइल फोन और अन्य तकनीक को अपनाने से युवा पीढ़ी के साथ उनका व्यक्तिगत संवाद प्रभावित हुआ है। पैन हेल्थकेयर ने 'द लिबर्टी इन लाइफ ऑफ ओल्डर पीपल 2022' सर्वेक्षेण किया था और इसमें 10 शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, पटना, पुणे और अहमदाबाद से 10,000 प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाएं दर्ज की गईं।
लगभग 72.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी पीढ़ी के लोग परिवार में बुजुर्गों के साथ अधिक समय बिताते थे। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिसके कारण उन्हें इधर-उधर जाने और खुद के काम करने में परेशानी होती है। अध्ययन में कहा गया है, 'भारत में बुजुर्गों के आने-जाने में रुकावट का सबसे बड़ा कारण जोड़ों और शरीर का दर्द है, जिससे पीड़ित लोगों की संख्या 58.1 प्रतिशत है।
थकान और भूलने की बीमारी (प्रत्येक 8.4 प्रतिशत) भी इस सूची में शामिल हैं। एक और बड़ा कारण मूत्र को न रोक पाना (18 प्रतिशत) है, जिसकी वजह से बुजुर्ग आने-जाने से बचते हैं। पैन हेल्थकेयर के सीईओ चिराग पन ने कहा, 'राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) और जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि भारत में बुजुर्गों की आबादी सामान्य आबादी की तुलना में बहुत तेज गति से बढ़ रही है।
वास्तव में, आने वाले दशक में इसके 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ने की संभावना है, जबकि कुल जनसंख्या में केवल 8.4 प्रतिशत अपेक्षित वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, 'यह जरूरी है कि परिवार के छोटे सदस्य बुजुर्गों की शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक जरूरतों पर अधिक ध्यान दें।'