श्रीकृष्ण की ना केवल भारत में बल्कि पूरे जगत में अपार महिमा है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विधि में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। इन मंत्रों के जाप से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। यह मंत्र काफी सरल हैं, लेकिन फिर भी ध्यान रहे कि आप इनका सही उच्चारण ही करें।
कृष्ण बीज मंत्र
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः।
- यह बीज मंत्र भगवान कृष्ण की कृपा और प्रेम प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
मूल मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
यह मंत्र भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसे जपने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
कृष्ण गायत्री मंत्र
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे,
वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।
- यह मंत्र भगवान कृष्ण के ज्ञान और भक्ति का प्रतीक है और इसे जपने से व्यक्ति के जीवन में शुभता आती है।
कृष्ण ध्याय मंत्र
वसुदेव सुतं देवं, कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं, कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
- यह मंत्र भगवान कृष्ण की महिमा और उनके पराक्रम का वर्णन करता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में शक्ति और साहस मिलता है।
श्री कृष्ण मंत्र
गोवर्धन धरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गौरीप्रिय सुतं वन्दे गोविन्दं गोपिकाप्रियम्॥
- इस मंत्र के जप से भगवान गोपाल (कृष्ण) की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आनंद आता है।
महामंत्र
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे॥
- यह मंत्र अत्यंत प्रसिद्ध है और भक्ति आंदोलन का मुख्य मंत्र है। इसे जपने से मन को शांति और भगवान कृष्ण की भक्ति में स्थिरता मिलती है।
श्रीकृष्ण आरती
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
- आरती का समय भी विशेष होता है, जिसमें भगवान कृष्ण की महिमा गाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है।
इन मंत्रों के जाप के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उनके आशीर्वाद से सभी बाधाएं दूर होती हैं।